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( ११ ) दीक्षा के समय भी ज्योतिषियों ने लग्न बल और हाथ की रेखाओं के योग से कहा था कि "आगे चल कर ये निश्चय ही महापुरुष होंगे। इनसे समग्र संसार को शांति, समता धर्म तथा सत्य का उपदेश प्राप्त होगा। लाखों मनुष्य इनकी पद रज सिर पर लगावेंगे।"
आपके भावी जीवन को उच्चतर बनाने वाले निम्न लिखित लक्षण हैं:
पैरों के तलुवे बहुत लाल और कोमल हैं। देखने वाले को कमल दल का अनुमान होने लग जाता है। ____ आपके समुचित पैर बड़े नाजुक और सुन्दर हैं। अंगुलियाँ परस्पर सनिहित हैं। घुटने आपके निगूढ़ और पुष्ट हैं, नाभी दक्षिणावर्त, विशाल हृदय और शंबव के समान त्रिवलित ग्रीवा देखने वाले को मुग्ध कर देती है।
भाल स्थल अर्ध चंद्राकार और दीर्घ है। सारे अङ्ग प्रत्यङ्ग जैसे चाहिए वैसे सुन्दर और लाक्षणिक प्रतीत होते हैं।
दीक्षा मुहत्ते के समय भी आपको जैसा बलिष्ट लग्न प्राप्त हुआ है वैसा बहुत कम लोगों को प्राप्त हुआ होगा। उस वक्त की कुंडली का फल यह है:-- ___ "इस लम में दीक्षा लेने वाला अवश्य महा पुरुष और नावंद्य होता है।"
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