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उमेदपुर से विहार कर तखतगढ़, पादरली, चांदराई होकर पाली पहुँचे। यहां सार्वजनिक व्याख्यान हुये। आगे खीताब ग्राम में जाने पर एक अच्छा लाभ मिला। वहाँ ते ठाकुर साहिब आपके दर्शन कर प्रसन्न हुये। बात चीत करते हुये उनके मन पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि उन्होंने बाकी जीवन भर के लिये माँस मदिरा का सर्वथा त्याग कर दिया। : आगे आपके सोजत में पधारने पर श्रीयुत् सेठ केशरीमलजी हीराचंदजी ने अपने स्वर्गवासी पितामह और पिताजी की स्मृति में अहाई महोत्सव किया। आस पास के बहुत से लोग उस महोत्सव में आये। कुछ सज्जन बड़ौदा तक से भी आये थे। उमेदपुर की भजन मंडली भी यहां आई थी। स्वामीवत्सल भी हुआ। जोधपुर के रेवेन्यु मिनिस्टर श्रीयुत् मुहम्मदीन साहिब ने जैन धर्म पर सुंदर व्याख्यान दिया। भगवान् श्री गौडी पाश्वनाथजी के मंदिर के जीर्णोद्धार के लिये चंदा इकट्ठा हुआ। .. जब आपने प्रसिद्ध ब्यावर नगर में प्रवेश किया तो जनता के हर्ष का पारावार न रहा । प्रवेश में खूब धूम धाम रहो। उन दिनों भगवान् महावीर स्वामी का जन्म दिन मनाये जाने की तैयारी हो रही थी। उत्सव के दिन तीनों संप्रदायों-श्वेताबर, दिगंबर और स्थानक
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