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( १३५ ) इस अरसे में श्री आत्मानंद जैन कॉलेज, अंबाला के निमित्त कार्य आरंभ हुआ। सेठ रतिलाल वाडीलाल भाई बंबई से यहां पधारे। उनसे बात चीत हुई तो उन्होंने उत्साह दिखाया। वापिस बंबई जाकर उन्होंने सेठ माणेक लाल चूनीलालजी से परामर्श किया। सेठ रतिलालजी ने १०००)रु० और सेठ माणेकलालजीने ७०००)रु० कॉलेज फंड में चंदा देकर इस शुभ कार्य का श्री गणेश कराया। फिर २१ अगस्त १९२७ को राधनपुर के दानवीर सेठ कांतिलाल ईश्वरलालजी मोरखिया खंभात आये। श्री आचार्य महाराज की प्रेरणा से उन्होंने भी कॉलेज फंड में ११०००) २० देना स्वीकार किया। इस प्रकार परम पवित्र स्तंभन तीर्थ में यह कार्य आरंभ हुआ। श्री कांतिलालजी के वापिस बंबई जाने पर सेठ माणेकलालजी ने अपनी रकम को ७०००) की बजाय ११०००) कर दिया और सेठ रतिलालजी ने भी एक हज़ार की बजाय २०००) कर दिये। अब इस प्रोत्साहन के मिलने पर अन्य गुरु-भक्तों ने भी अपनी उदारता दिखाई और निम्न लिखित दान भास हुआ:५०००) सेठ मोतीलाल मूलजी के सुपुत्र श्रीयुत् सेठ
साकरचंदजी। ३०००) सेठ कांतिलाल बकोर।
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