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________________ ( ११८ ) तक श्री केशरियानाथजी के झगड़े का फैसला न हो किसी भी नगर में बाजे के साथ प्रवेश न करेंगे, अतः अहमदाबाद जैसे मुख्य नगर में बिना बाजे के ही प्रवेश किया । इसका जनता पर बहुत ही अच्छा प्रभाव पड़ा। जैनाचार्य श्री विजयनीतिसूरिजी, श्री ऋद्धिसागरजी, श्री जयसूरिजी तथा श्री विद्याविजयजी आदि सभी महात्मा साथ में थे । इस परस्पर के प्रेम का प्रभाव पड़े बिना कैसे रह सकता था । चैत्र वदि ३ से मुनि सम्मेलन का कार्य प्रारंभ हुआ । इस सम्मेलन में ४५० साधु महाराज पधारे और ७०० साध्वियां पधारी थीं। नौ साधुओं की एक समिति बनाई गई जिसका निर्णय सब को स्वीकृत और मान्य होना निश्चित हुआ । इस समिति में हमारे चरित्र नायक भी थे । इस सम्मेलन में प्रस्ताव पास हुये । सब साधुओं में ६ अच्छा मेल रहा । सम्मेलन के बाद श्री विजयनेमिसूरिजी महाराज को सेरीसा होकर मारवाड़ की तरफ जाना था । सद्गत सेठ साराभाई डाह्याभाई आदि सद्गृहस्थों के आग्रह से आप भी सेरीसा तक साथ में पधारे । सेरोसा में पानसर के कार्य्य-वाहकों ने पानसर पधारने के लिये आप से विनती की और श्री विजय नेमिसूरिजी के आग्रह से आप पानसर पधारे । डभोई के श्री संघ की तरफ से Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002670
Book TitleKalikal Kalpataru Vijay Vallabhsuriji ka Sankshipta Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshwanath Ummed Jain Balashram Ummedpur
PublisherParshwanath Ummed Jain Balashram Ummedpur
Publication Year1938
Total Pages182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size7 MB
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