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दिव्य जीवन करके आदर्श शिक्षकोंको जीवन-भरणपोषणकी चिन्तासे मुक्त करने उनके द्वारा शिक्षाका प्रचार करना समाजोन्नतिके लिए अत्यन्त ही लाभकारी है।"
गुरुदेवकी कल्पना आदर्श विद्यालयोंको स्थापित करनेकी थी। शिक्षासे बालकमें मनुष्यता खिल जाय, यह उनको कामना थी। गुरुदेवकी कल्पनामें शिक्षाभवनके तीन स्तम्भ थे : १. शिक्षालय, २. शिक्षक और ३. शिक्षार्थी ।
जहां उन्होंने आदर्श विद्यालयोंकी योजना समाजके सामने रखी थी वहां उन्होंने आदर्श शिक्षकोंकी सम्मानपूर्ण जीविका पर भी विचार किया था। शिक्षकजीवनके आर्थिक पहलू पर भी उन्होंने मानवीय दृष्टिसे सोचा था।
गुरुदेवकी प्रेरणासे जैन समाजने सरस्वतोमंदिर खोले। श्री महावीर जैन विद्यालय बम्बई, श्री आत्मानन्द जैन कालेज अम्बाला, श्री पार्श्वनाथ उम्मेद जैन कालेज' फालना, श्री पार्श्वनाथ जैन विद्यालय वरकाना, श्री पार्श्वनाथ उम्मेद जैन विद्यालय फालना, पंजाबके लुधियाना, मालेरकोटला तथा अम्बाला शहरोंमें हाईस्कूल, मिडिल स्कूल एवं प्राथमिक पाठशालायें, अन्य प्रदेशोंकी संस्थायें तथा अनेक कन्यापाठशालायें ५ गुरुदेवके अमर यशके दीपक है। इन संस्थाओंमें पढ़कर हजारों विद्यार्थी विद्याप्रकाशसे प्रकाशित हो रहे हैं। इनसे समाजमें चेतना आईं।
शिक्षाके बिना समाजकी कैसी दयनीय अवस्था हो सकती है इसकी कल्पना गुरुदेवने भली भांति की थी। ज्ञानकी ज्योतिसे समाजका प्रत्येक कोना जगमगा उठे, समाज क्रान्तिके प्रकाशमें चमक उठे, यह गुरुदेवकी अभिलाषा
४. श्री पार्श्वनाथ उम्मेद जैन कालेज फालना प्रारम्भमें मिडिल स्कूल, फिर हाईस्कूल, और इन्टर कालेज तथा सन् १९५८ में डिग्री कालेज बनी। संस्थाकी प्रारम्भिक अवस्थामें इस संस्थाकी गुरुदेवके शिष्यरत्न श्रीमद् विजयललितसूरीश्वरजी महाराजने कुशल बागबानकी तरह देखभाल की। उनके आशीर्वादका यह फल है कि संस्था निरन्तर विकासोन्मुख है । इन आचार्यश्रीका जन्म सं. १९३७ में हुआ था, दीक्षा सं. १९५४ में सम्पन्न हुई । आचार्य पदवीसे आपश्री सं. १९९३ में विभूषित हुए तथा आपका स्वर्गवास सं. २००६, महाशुद दशमके दिन खुडाला (जिला पाली) में हुआ।
५. गुरुदेवने समाजोत्थानके लिये कन्याशिक्षाको अत्यन्त ही आवश्यक बतलाया। आत्मविकासको दृष्टिसे भी उन्होंने कन्याशिक्षाको उपयोगी माना था। समाज में व्याप्त फिजूलखर्ची, दहेजप्रथा, रुढ़ियां, अन्धविश्वास आदिके उन्मूलनके लिये महिलाशिक्षा रामबाण औषधि है यह गुरुदेवकी मान्यता थी।
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