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________________ (५) उपर्युक्त कार्यको सम्पन्न करने के लिये, अहमदाबादमें, एक 'पण्डित सुखलालजी मध्यस्थ सन्मान समिति' की स्थापना करना व उसका मुख्य कार्यालय अहमदाबादमें रखना । (६) इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिये बम्बई, कलकत्ता व जहाँ जहाँ आवश्यक मालूम हो वहाँ वहाँ स्थानिक समिति कायम करना; और इन स्थानिक समितिओं के सर्व सदस्योंको मध्यस्थ समितिके सदस्य समझना । (७) जहाँ ऐसी स्थानिक समिति कायम न की गई हो वहाँकी विशिष्ट व्यक्तिओंको भी मध्यस्थ समिति में शामिल करना । इस समितिका अध्यक्षपद माननीय श्री गणेश वासुदेव मावलंकर, अध्यक्ष, लोकसभाको दिया गया। श्री मावलंकरके निधन के बाद भारत सरकार के व्यापार उद्योग मन्त्री माननीय श्री मोरारजीभाई देसाई उस समिति के अध्यक्ष बने हैं । सन्मान की इस योजना की दूसरी कलमको मूर्तरूप देनेके हेतुसे समिति की कार्यकारिणी समितिने ता. १४-१०-५५ को निम्न प्रस्ताव किया : (१) पण्डितजीके जो लेख हिन्दीमें हों वे हिन्दी भाषा में और जो लेख गुजराती में हों वे गुजराती भाषामें इस प्रकार दो अलग अलग प्रन्थ मुद्रित किए जायँ । (२) इन प्रन्थों के सम्पादनके लिए निम्न पांच सदस्योंका सम्पादक मण्डल नियुक्त किया जाता है । श्री दलसुखभाई मालवणिया मुख्य सम्पादक रहेंगे: | (१) श्री दलसुखभाई मालवणिया [ मुख्य संपादक ] (२) श्री पं. बेचरदास जीवराज दोशी (३) श्री रसिकलाल छोटालाल परीख (४) श्री चुनीलाल वर्धमान शाह (५) श्री बालाभाई वीरचंद देसाई ' जयभिख्खु ' Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002661
Book TitleDarshan aur Chintan Part 1 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal Sanghavi
PublisherSukhlalji Sanman Samiti Ahmedabad
Publication Year1957
Total Pages950
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size16 MB
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