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________________ गुणस्थान का विशेष स्वरूप २६७ तीन प्रवासी कहीं जा रहे थे। बीच में भयानक चोरों को देखते ही तीम में से एक तो पीछे भाग गया। दूसरा उन चोरों से डर कर नहीं भागा, किन्तु उनके द्वारा पकड़ा गया। तीसरा तो असाधारण बल तथा कौशल से उन चोरों को हराकर आगे बढ़ ही गया। मानसिक विकारों के साथ आध्यात्मिक युद्ध करने में जो जय-पराजय होता है, उसका थोड़ा बहुत खयाल उक्त दृष्टान्त से आ सकता है। प्रथम गुणस्थान में रहने वाले विकासगामी ऐसे अनेक प्रात्मा होते हैं, जो राग-द्वेष के तीव्रतम वेग को थोड़ा सा दबाये हुए होते हैं, पर मोह की प्रधान शक्ति को अर्थात् दर्शनमोह को शिथिल किये हुए नहीं होते । इसलिए वे यद्यपि आध्यात्मिक लक्ष्य के सर्वथा अनुकूलगामी नहीं होते, तो भी उनका बोध व चरित्र अन्य अविकसित आत्माओं की अपेक्षा अच्छा ही होता है। यद्यपि ऐसे आत्माओं की आध्यात्मिक दृष्टि सर्वथा आत्मोन्मुख न होने के कारण वस्तुतः मिथ्या दृष्टि, विपरीत रष्टि या असत् दृष्टि ही कहलाती है. तथापि वह सद्दृष्टि के समीप ले जानेवाली होने के कारण उपादेय मानी गई है। बोध, वीर्य व चारित्र के तर-तम भाव की अपेक्षा से उस असत् दृष्टि के चार भेद करके मिथ्या दृष्टि गुणस्थान की अन्तिम अवस्था का शास्त्र में अच्छा चित्र खींचा गया है । इन चार दृष्टियों में जो वर्तमान होते हैं, उनको सद्दृष्टि लाभ करने में फिर देरी नहीं लगती। दृष्टान्तोपनयश्चात्र, जना जीवा भवोऽटवी । पन्थाः कर्मस्थितिम्रन्थि देशस्त्विह भयास्पदम् । ६२२ ।। रागद्वेषौ तस्करौ द्वौ तद्भीतो वलितस्तु सः । ग्रंथिं प्राप्यापि दुर्भावाद्यो ज्येष्ठस्थितिबन्धकः ।। ६२३ ।। चौररुद्धस्तु स ज्ञयस्ताग रागादिबाधितः । ग्रंथिं भिनन्ति यो नैव न चापि वलते ततः ।। ६२४ ॥ स त्वभीष्टपुरं प्राप्तो योऽपूर्वकरणाद् द्रुतम् । रागद्वेषावपाकृत्य सम्यग्दर्शनमाप्तवान् ।। ६२५ ॥' । -लोकप्रकाश सर्ग ३ १ 'मिथ्यात्वे मन्दतां प्राप्ते, मित्राद्या अपि दृष्टयः। . मार्गाभिमुखभावेन, कुर्वते मोक्षयोजनम् ॥ ३१ ॥ . -श्री यशोविजयजी-कृत योगावतारद्वात्रिंशिक । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002661
Book TitleDarshan aur Chintan Part 1 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal Sanghavi
PublisherSukhlalji Sanman Samiti Ahmedabad
Publication Year1957
Total Pages950
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size16 MB
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