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________________ भगवान् महावीर का जीवन ४९ ऐतिहासिक जीवनी लिखने का तीसरा महत्त्वपूर्ण साधन परम्परागत श्राचारविचार है । भारत की जनता पर खास कर जैनधर्म के प्रचारवाले भागों की जनता पर महावीर के जीवन का सूक्ष्म-सूक्ष्मतर प्रभाव देखा जा सकता है; पर उसकी अमिट और स्पष्ट छाप तो जैन-परम्परा के अनुयायी गृहस्थ और त्यागी के अाचार-विचारों में देखी जा सकती है । समय के हेर-फेर से, बाहरी प्रभावों से और अधिकार-भेद से आज के जैन समाज का आचार-विचार कितना ही क्यों न बदला हो; पर यह अपने उपास्य देव महावीर के प्राचार-विचार के वास्तविक रूप की आज भी झाँकी करा सकता है। अलबत्ता इसमें छानबीन करने की शक्ति आवश्यक है। इस तरह हम ऊपर सूचित किए हुए तीनों साधनों का गहराई के साथ अध्ययन करके महावीर की ऐतिहासिक जीवनी तैयार कर सकते हैं, जो समय की माँग है। इ० १६४७] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002661
Book TitleDarshan aur Chintan Part 1 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal Sanghavi
PublisherSukhlalji Sanman Samiti Ahmedabad
Publication Year1957
Total Pages950
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size16 MB
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