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________________ भगवान महावीर का जीवन [एक ऐतिहासिक दृष्टिपात ] वीर-जयंती और निर्वाणतिथि हर साल आती है । इसके उपलक्ष्य में लगभग सभी जैन-पत्र भगवान् के जीवन पर कुछ न कुछ लिखने का प्रयत्न करते हैं। कोई-कोई पत्र महावीराङ्क रूप से विशेष अङ्क निकालने की भी योजना करते हैं । यह सिलसिला पिछले अनेक वर्षों से अन्य सम्प्रदायों की देखादेखी जैन परम्परा में भी चालू है और संभवतः आगे भी चालू रहेगा। सामयिक पत्र पत्रिकाओं के अलावा भी भगवान् के जीवन के बारे में छोटी बड़ी पुस्तकें लिखने का क्रम वैसा ही जारी है जैसे कि उसकी माँग है। पुराने समय से इस विषय पर लिखा जाता रहा है। प्राकृत और संस्कृत भाषा में जुदेजुदे समय में जुदे-जुदे स्थानों पर जुदी-जुदी दृष्टि वाले जुदे-जुदे अनेक लेखकों के द्वारा भगवान् का जीवन लिखा गया है और वह बहुतायत से उपलब्ध भी है। नए युग की पिछली एक शताब्दी में तो यह जीवन अनेक भाषाओं में देशीविदेशी, साम्प्रदायिक-असाम्प्रदायिक लेखकों के द्वारा लिखा गया है । जर्मनअंग्रेजी, हिन्दी, गुजराती, बंगला और मराठी आदि भाषाओं में इस जीवन विषयक छोटी-बड़ी अनेक पुस्तकें प्रसिद्ध हुई हैं और मिलती भी हैं। यह सब होते हुए भी नए वर्ष की नई जयंती या निर्वाणतिथि के उपलक्ष्य में महावीर जीवन पर कुछ नया लिखने की भारपूर्वक माँग हो रही है । इसका क्या कारण है ? सो खासकर समझने की बात है । इस कारण को समझने से यह हम ठीक-ठीक समझ सकेंगे कि पुराने समय से आज तक को महावीर जीवन विषयक उपलब्ध इतनी लिखित मुद्रित सामग्री हमारी जिज्ञासा को तृप्त करने में समर्थ क्यों नहीं होती ? भगवान् महावीर एक ही थे। उनका जीवन जैसा कुछ रहा हो सुनिश्चित अमुक रूप का ही रहा होगा । तद्विषयक जो सामग्री अभी शेष है उससे अधिक समर्थ समकालीन सामग्री अभी मिलने की कोई संभावना नहीं। जो सामग्री उपलब्ध है उसका उपयोग आज तक के लिखित जीवनों में हश्रा ही है तो फिर नया क्या बाकी है जिसकी माँग हर साल जयंती या निर्वाणतिथि के अवसर पर बनी रहती है और खास तौर से संपूर्ण महावीर जीवन विषयक पुस्तक की माँग तो। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002661
Book TitleDarshan aur Chintan Part 1 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSukhlal Sanghavi
PublisherSukhlalji Sanman Samiti Ahmedabad
Publication Year1957
Total Pages950
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size16 MB
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