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भूमिका
संधि - १९
१९ मी अनाथि महर्षि संधिना कर्ता अज्ञात छे. हस्तप्रतना आधारे रचना ई. स. १४३० पूर्वेनी निश्चित गणाय.
संधि - २०
२० मी उपदेश संघिना कर्तानु नाम हेमसार छे. ते सिवाय कोई माहिती मळती नथी.
छंदोविधान
पहेलां जोयु ते संधिकाव्योमां संधिबंध महाकाव्योमां प्रचलित मात्रामेळ छंदो ज वपराचा छे. केटलीक संधिओमां एक मात्र हस्तप्रत ज मळवाने कारणे शुद्ध पाठ मळता न होवाथी छंदमां पण शुद्धि जणाती नथी.
धत्ता अने ध्रुवकना छंद :
अहीं प्रस्तुत बधां ज संधिकाव्योना कडवकाना अंते आवतां घत्तामां एक ज छंद षट्पदी वपरायो छे. १०+८+१३=३१ मात्रा ( अंत uuu) तथा १-२, ४-५ अने ३-६ पदना अंते प्रास- ए लक्षणो षट्पदीना छे. संधिओनी आद्य कडी एटले के ध्रुवक संधि ३, ४, अने ५ सिवायनी संघिओमां छे तेमां संधि १०, ११, १२, १३, १४, १५, १६, १९ अने २० ना ध्रुवकनो छंद उपरोक्त षट्पदी ज छे. संधि ६, ७, ८, अने ९ मां आधकडी प्राकृत गाथा छे अने तेनी पछी ब्रीजी कडी षट्पदीमां छे. संधि १, २ तथा १७ मां ध्रुवकनो छंद बदनक छे. ( वदनकनुं लक्षण नीचे कडवकना छंदमां आपेल छे). संधि ३१ मात्रा बे पंक्ति भुवक रूपे छे.
१८ मां ३१
कवकना छंद :
asaकोमा ३ छंद वपरायां छे.
(१) पद्धडी - मोटा भागना संधिकाव्योमां कड़वकना छंद तरीके पद्धडी छंद वपरायेल छे, तेनुं लक्षण छे -४+४+४+४ = १६ मात्रा (अंत्य ज गण जरुरी, बीजे ज गण विकल्पे अने अन्यत्र निषिद्ध ), नीचेनां कुल ७८ कडवकोमां ते वपरायेल छे–
संधि १. कड० ३, १०, १३, १४; सं. २. क० ३, ९, १० ११, क० २, ३, ४, ५, ६, ७, ९, १०, १२; सं. ४ - क० ३, ४, ९, क. १, २, ७, ९, ११, स. ६ . १-५ ( बधां); सं. ७. क. ९-क्र. १, ४; सं. १०- क. १-५ ( बधां); सं. ११ क. १ थी क. १–६, ८- ९; सं. १४. क. १, ३, ५, सौं. १५ (बधां); सं. १८ क. १, ३, सं. १९ क. १, २, ५, ९, छंद वदनक छे. तेनुं लक्षण छे - ६+४+४+२= ) नीचेना कुल ६३ कडवकोमां वदनक छे -
(२) वदनक - बीजा नंबरे वपरायेल १६ मात्रा (अंत्य ४ मात्रा -u uअथवा
१२; सं. ३.
१५; सं. ५(बधां); सं.
१०, १-२ ९ ( बधां); सं. १२, क. १, ३; सं. १६क. १-४ १० से २० क. १-३ (चधां)
सं. १ क. १, २, ४, ५, ६ ९, ११, १२, १५; सं. २ क. १, सं. ३ क. १, ८, ११, १३, १४, सं. ४ कड. १, २, ७, ८, १३, ८, १०; सं. ९ क. ३; सं. १३ क. १-१४ ( बधां) सं. १७ क. क. ६
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२, ४ ८, १३ - १८; १४; सं. ५ क. ३, ४, १-८ (बधां) ; सं. १९
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