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________________ हेमतिलयसूरि-संधि जत्थ जत्थ पुरि पट्टणि मावइ तत्थ तत्थ संघह मणि भावइ जिम जिम आगम-तत्तु पयासइ तिम तिम मिच्छा-मग्गु पणासइ ठामि ठामि उन्नइ कारंतउ पंडिय-राउ एम विहरंतउ अन्न-दिवसि सुर-गुरि तेडाव्यउ कय-बहु-उच्छवि अहिपुर आयउ ८ पत्ता तहिं गुरु नमेविणु आइस लेविणु दियइ संघ उवएस-वरो तं सुणि जणु जंपइ होसइ संपइ एहु जि सुह-गुरु-पट्टधरो ॥९ [६] तहिं पुरि नाह'-स-पसिद्धउ ___ संघाहिव फम्मणु सुसमिद्ध उ अमर मेह पित्थड तसु पुत्ता । वयरसेणसूरि-गुरु-पय-भत्ता अचु दोल: जढियह(2) कुल-मंडणु गुरु-पय-भत्तु दोण-दुइ-खंडणु सधिय साह गोपति जसु भाई धम्मह कजि विसेप्स तहाइ ते विन्नवहिं सुगुरु 'पहु एइ. हेमकलसु निय-पट्टि ठवेहू' तं तूठइ सुह-गुरि अणुमनिउ रलियाइत थिय साह ति विन्नउ चउहत्तरई वरिसि जि हासिय वीयहं संघ मिलिय मण हरिसिय वीर-मुवणि महिपाल-पुरंतरि वट्टतइ आणदि निरंतरि पत्ता वज्जतइ तूरिहिं वयरसेणमूरिहि हेमकलस सुपट्टिहिं ठविउ अनु तसु जगि सारउ मंगल-कारउ हेमतिल कसूरि नाम किउ ॥९ [७] हेमतिलयसूरि पट्टि बयटुहं बहुविह-लद्धि-प्तमिद्धि-विसिहं भविय-जोय पडिबोह करतई बार वरिस जं गय विहरंतह तो तसु सुइ-गुरु भरु अप्पेविणु आरासणि निय आउ मुणेविणु दस-दिण अणपणु पालि निरुत्तउ । वयरसेणसरि सग्गि पहुत्तउ तक्वणि मिल्हवि मणह विसाउ हेमतिल कसूरि गणहर-राउ । महि-मंडल विहरइ गुणवंतउ दिणि दिणि गच्छ-प्तहिउ जयवंतउ तो गुरि बहु मुणि साहुणि दिक्विय झत्ति पढाविय विहि-मुह सिक्खिय तह तणा गुण जाणि जहिट्ठिय मुणि साहुणि जह-जुग्गि पइट्ठिय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002656
Book TitleSamdhikavya Samucchaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1980
Total Pages162
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size7 MB
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