________________
भावणा-संधि
जा न रोगेहिं सोगेहिं वाहिज्जसे जा न जर-मरण-रक्खेहिं भक्खिज्जसे ताव मुणि-धम्म धरि अहव गेहि-त्रए घरि पलितम्मि खणि सकइ को कूवए १२ जाव कर-चरण-नयणेहिं तं सज्जो ताव जिय होसु आवस्तए उज्जओ वुड्ढ-भावम्मि पुण मलसि निय हत्थए तुट्टि गुणि जेम धाणुक्क रण-मत्थए ११ छड्डि घर-घरणि-सुय-' भइणि-भत्तिज्जए देहि दाणांणि जड धम्मु संचिज्जए एहिं सव्वेहिं नवि जमह रक्खिजए' इत्थ दिटुंत नंदो वि निसुणिज्जए १६ सरह जिण-सिद्ध-मुणि-धम्म-चउ-सरणयं जेण नवि होइ मोहा उ पुण मरणयं सुहड एगो वि सरणागयं रकबए किं पुणो बहुयरे जीव12 रिउणो जए १८ दुकय निंदेसु करि सुकय-अणुमोयणं सयल जीवेसु मित्ती य सुणि चोयणं जेण भुत्तूण सुर-सुक्ख15 नीसल्लयं लहसि केवल्ल-कल्लाण-14बाहुल्लयं २०
पत्ता निम्मल-गुण-भूरिहिं सिदिवसरिहिं पढम-सीस जयदेव मुणि किय भावण संधी भाव-सुयंधी निसुणउन्नु वि धरउ16 मणि ॥२१
1.B.जमा-जर० 2. Aअलगेहव्वए 3.B परित्तेसि खलिओसि किं कृ. 4.B ता सजिओ 5. Bउज्जुओ 6. B मलसि 7. B सयण 8 B विण 9 B. ज्जसे 10 A जिम 11 Bनिसणिरे 12. A निउणो 13. B निस्सल्लय. 14. A वाहलयं 15. B निसुणह 16.Bधरह 17अंतः A भावनासंधिः ॥छ।। B. इति भावनासंधिः समाप्ता । लिखिता श्रीमति महीशानकनगरे ॥छ।। श्री।।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org