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बसु वसिउ छत्त छायाहे हिट्टि जहिं चेव रोसु तर्हि चेव तोसु तह न विसकन्न निय-भज्ज एह जसु संगमि अप्पणि कामभोग जइ आवय आवइ दिव्य-जोगि बइ रज्ज चुक्कु नलु जूय रमेवि तह जम्मु लहइ जहिं कुक्कुरो वि जहिं वसइ सयणु परियणु असेसु वरि मरण वि सुंदरु निय-निवेसि ते राम- कन्ह बलवंत भाय
संधिकाव्य- समुच्चय
जं जंपिउ तई मुअ अभिनिवेसि तं सव्वु जेण जसु असमु लोइ सुह-कम्म- मितु सज्जणु सुकित्ति चितामणि निम्मलु जो अमुल्लु गुण लहई गुणत्तणु खगुण पासि नइ - अमय - तुल-जल विविह-भेय किं किन्नइ तेण वि सामिएण किं कज्जु तेण भण कंचणेण गय-नायह राय तणइ गामि बरि कालु गमिज्जइ रन्नि सुत्त परिहरिय रज्जु निय- मायरा य मह दुल्लहु अवि लंका हिवत्तु
टुस्स विदिनइ तसु न पिट्ठि जलु जत्य तत्य पंकु वि असोसु २८ जा कामिणीसु पात्रेइ रेह चिरु लग लहउँ लहिसु असोग ३० ता कवणु दोसु परिर्याणि स-सोगि ता किं सु दोसु दमयंति देवि तं ठाणु न छड्डड्इ तिरिउ सो वि मिल्हियइ कीम सो नियय-देसु रज्जं पि नेव पुणु अवर-देसि निय - देस भट्ट निहणं गया य'
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घत्ता
इय कोविहिं जुत्तह
अभविय मित्तह वयणंतरि पभणइ भविउ
'अभविय निय-वयणहं सुह-वण-दहणहं सुणि उत्तरु कमि कमि सहिउ ॥ ३७
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असमंजसु किल पयडीकरेसि सुह- कम्म पाइण पयडु होइ तई दुजणि दुज्जणु गणिउ चित्ति आभीरं सु मन्नई काय तुल्लु ते चेव दोस निग्गुण-निवासि जलरासिहिं संगमि हुईं अपेय दुह लब्भइ जेण निसेविएण जिणि कन्न- छेउ हुइ परिहिएण स्वणमविन हु वसियइ पाव-ठामि वरि सुन्न साल न हु चोर जुत्त भत्तिर्हि सेवंतई राम - पाय
जस-सहिउ विभीणि किं न पत्त
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1. B. रज्जबहु 2 अंत: - A चतुर्थोधिकारः ॥ B. ॥ इति सकोप - अभव्य-उपदेशवचन - रूपो नाम चतुर्थोधिकारः ॥ छ ॥। 3. B पसायण 4 B आभीरि 5. B ठाण
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