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________________ मेरुसुन्दरगणि-विरचित शीलोपदेशमाला-बालावबोध श्रीवीतरागाय' नमः । श्रीनाभेयममेयश्रीसहितं महितं सुरैः । प्रणिपत्य सत्यभक्त्याऽनन्तातिशयशालिनम् ॥१ श्रीजिनचंद्रगुरूणामादेशान्मेरुसुन्दर-विनेयः । शीलोपदेशमालां विवृणोति शिशुप्रबोधाय ॥२ धुरि इष्टदेवता नमस्करी शीलोपदेशमालाना बालाविबोध-भणी आदि-गाथा कहइ आबाल-बंभयारि नेमिकुमारं नमित्तु जय-सारं । सीलोवएसमाल वुच्छामि विवेग-करिसालं ॥१ व्याख्या - आबाल-ब्रह्मचारी, आजन्म चतुर्थव्रतधारो श्रीनेमिकुमार बावीसमउ तीर्थकर नमस्करी, शीलरूप उपदेश तेहनी मालानु बालाविबोध मूर्खजनना उपकार भणी हूं कहिसु । नेमिकुमार ए नाम स्या-भणी ? जे गृहस्थावासि पत्रिणि सई वरिस घरि रही, राज अनइ राजीमती परिहरी, कुमारपणइ चारित्र लीधउं। वली केहबउ छइ १ जयसारं जय कही। त्रिभुवन तेह-माहि शीलरूप धरिवानु ए सार प्रधान छइ, अथवा बाह्य अनइ अंतरंग वइरी जीपवई करी सार छई। वली, विवेगकरिसाल विवेकरूपीउ करि-हस्ती जिम हस्ति-शाला "आश्रइ तिम विवेक शीलवंत पुरुषनई आश्रइ ॥१ - हिवइ शीलनउ उपदेश कहइ निम्महिय-सयल-हीलं दुहवल्ली-मूल-उक्खणण-कीलं । कय-सिव-सुह-संमीलं पालह निच्चं विमल-सील ॥२ व्याख्या - तुम्हे विमल निर्मल शील नित्य-सदा पालउ । पणि शील केहवउं छइ ? निम्म० सघलाई मिथ्यात्वनी हीला-पराभव जीणइं मंथाणानी परिइं मथ्या-फेडथा छई । दुह० दुखरूपिणी वेलि मूल-हंती उन्मूलिवानइ कारणि तीक्ष्ण खीला-समान । कय० कृत-कीधी शिवसुख= मोक्षसुखनी प्राप्ति छइ, एहवउं उत्तम शील पालउ ॥२ हिवइ शील-लगई इहलोक नइ परलोकनां फल कहणहार हतउ भणइ लच्छी जसं पयावो माहप्पमरोगया गुण-समिद्धी । सयल-समीहिय-सिद्धी सीलाओ इह भवे वि भवे ॥३ परलोए विह नर-सर-समिदिमवभजिऊण सीलभरा। तिहुयण-पणमिय-चरणा अरिणा पावति सिद्धि-सुह"॥४ १. K. श्रीगुरुभ्यो नमः. P. श्रीसर्वज्ञाय नमः L. श्रीजिनागमाय नमः २. K. °सहितं सेव्यमानममरगणैः. A. सुरैव सहितैः हितैः. ३. P. कहियइ. ४. K. मालानु श्रेणिनु. ५. P. त्रिन्नि. L. त्रिणि. ६. P. केहवा. ७. A. आश्रई, P. आश्रय. ८. P. कहियइ, ९. A. थकउ, १०. P. सीलधरा. ११. P. परमपचं. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002655
Book TitleSilopadesamala Balavbodh
Original Sutra AuthorMerusundar Gani
AuthorH C Bhayani, R M Shah, Gitaben
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1980
Total Pages234
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size14 MB
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