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तेमणे जाते आवीने 'शतार्थीनुं सम्पादन करशो ?' एम पूछतां ज प्रस्तुत कार्य स्वीकारी लीधुं. आवश्यकनियुक्तिनुं जुदी जुदी टीकाओ साथे तुलनात्मक अध्ययन करीने तेने मूळपाठ पाठांतर टिप्पण साथे तैयार करवान चालु काम गौण करी प्रस्तुत काम ऊपर लक्ष्य स्थिर कयु. कार्य धार्या करतां विशेष समय लई गयु छतां एक कार्य पूर थयुं तेनो सन्तोष छे..
शतार्थीमां जे मूळ श्लोक आपेल छे बराबर तेनी नीचे ते श्लोकनो जुदी जुदी रीते बतावेलो पदविभाग [ ] आवा निशानमां बतावेल छे अने तेनी नीचे तेवा ज निशानमां ए बतावेल जुदा जुदा पदविभागनी साधनानुं जे स्वरूप शतार्थीकारे दर्शावेल छे तेने बराबर स्पष्ट समजाय ए रीते नोंघेल छे. उपरांत अर्थयोजनामां ज्यां ज्यां संशोधन करवु जरूरी जणायुं त्यां त्यां टिप्पणमां यथामति ते बाबत नोंध करेल छे. संशोधन करवा जतां असावधानताने लीधे बीजी कोई नवी भुल थयेली जणाय. तो तेने जरूर संशोधनने पात्र समजी योग्य सूचन करवा विनन्ति छे.
प्रुफ संशोधनना कार्यमां काळजी तो घणी राखेल छे, छतां नबळी आंख वगेरेना कारणे भुलो रही जवानो पूरो संभव छे. वळी, मुद्राराक्षसना घाथी बची शकवू कठण छे तथा सहभूर्भ्रान्तिर्दुर्वारा ए नियमने वशवर्ती मारी बधी प्रवृत्ति चाली रहेल छे तेथी जे अशुद्धिओ ध्यानमां आवे तेने सुघारीने वांचवा विनंति छे अने अभ्यासी बन्धुओने नम्र निवेदन छे के तेओ ए अशुद्धिओ अंगे संपादकनुं जरूर ध्यान खेचवा कृपा करे. नागें एवं शुद्धिपत्र तो ग्रंथ साथे जोडेलुं छे ज.
संस्थामां जोडाया पछी मारा हाथे आ प्रथम संपादन अने प्रकाशन थाय छे ते श्रीजिनदेव उपरनी श्रद्धानो परमप्रसाद छ एम समजु छु अने नियामकनी प्रेरणा तथा सहकार्यकरोनो सहकार मारे माटे अणमोल साधन छे. नियामकश्री तथा सहकारी बधा ज मित्रोनुं अभिनन्दन करी पुरोवचन पुरं करुं छु.
बेचरदास
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