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नामना कोश- संपादन करेल छे, तेमां बधा मळीने २६ कोशोनो समावेश करेल छे. तेमा आचार्य हेमचन्द्र, महेश्वर वगेरेना कोशोनो पण समावेश छे: आ संग्रहमां हेमचन्द्र करतां कोई कोश प्राचीन नथी. ए बधा कोशोमां एकाक्षरी शब्दोना जे अर्थो आपेला छे तेमा घणे स्थळे अर्थोनी वधघट घणी देखाय छे, ए जोतां पण अर्थोना प्रामाण्य माटे कोई मूल आधार शोधवानो प्रश्न विशेष रीते सामे आवे छे. ए कोशकारोए पूर्वना कोशोनो आधार लई आ एकाक्षरी कोशो रचेला छे एम तो कोई कोई कोशकारे कहेल छे पण सूचवेला अर्थों माटे कोई कोशकारे कशो ज आधार के पुष्ट वा अपुष्ट प्रमाण आपेल नथी. तेम निरुक्तनी पेठे व्युत्पत्ति के शब्दसाम्यनो आधार पण दर्शावेल नथी. ए संग्रहमां द्वचक्षरकांड नामे एक कोश छे. संग्रहमा ए चोथा नंबरनो कोश छे तेमां शब्दो घणा विलक्षण छे भने एमना अर्थों पण विशेष विलक्षण छे–जेमके-झ्य एटले नद. झ्या एटले नदी. ट्य-कूट. स्यापृथिवी अने सुरा-मघ, ड्या-रमा, नर्मदा अने गंगा. ढय-धनाढय, बालक भने ढगलो. न्या-नीति. प्या-कृपा. ब्या-अंबा-माता. व-दही. दु-काचवो. ढे-नष्ट. परा-गंगा. पर-उद्धव, वगेरे. कोशकारनुं नाम सौभरि छे. आवा आवा विलक्षण अर्थवाळा अनेक विलक्षण शब्दो विद्वत्प्रबोध नामना काव्यमां वपरायेला छे. या काव्य पण एकाक्षरनामकोषसंग्रहमा प्रकाशित थयेल छे. तेना कर्ता श्रीवल्लभगणी नामना उपाध्याय छे, जे सत्तरमा सैकाना एक जैन साधु छे.
- एकाक्षरी वा द्वचक्षरी शब्दोना विलक्षण अर्थों जोईने अने तेना प्रामाण्यनो आधार नजाणवाथी एवी पण शंका थवानो संभव छे के एक एक श्लोकना अनेक अर्थरूप चमत्कार करी बताववा सारु शु आवा एकाक्षरी वा द्वयक्षरी कोशो बनाववामां आव्या हशे ? पण एकाक्षरी व द्वयक्षरी शब्दोना अमुक मर्यादित ज अर्थों बतावेल छे, वधारे अर्थों नथी बताव्या एटले एवं समाधान पण थाय छे के अर्थोनी से परिमितता जळवायेल छे तेनो कोई आधार-प्रामाणिक आधार जरूर होयो जोईए पछी ते परम्परा होय, बीजी कोई प्रकारनी विद्वत्प्रणालिका होय वा कोई प्रकारनी व्युत्पत्तिनी पण योजना होय, गमे ते होय पण आवा शब्दना अर्थों माटेनो प्रामाणिक आधार जरूर शोधनो उत्तम विषय थई शके एम छे. ११--सम्पादन
____ आम तो मने प्राचीन विद्याओमां रस छे ज, तेमां य शब्दविषयक विद्यामा विशेष रस खरो. मारी मा वृत्ति संस्थाना नियामकना ख्याल बहार न हती तेथी
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