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नत्थ पुरा परिवढिदा गदि पधो । एवं चितेदुं तीए रुक्ख पद्धदीए ।
वसुदेवहिंडी-मज्झिमखंडे
अघण्णा हं । तं मात्तुं णत्थि मे संपदं एदं पत्ताए अण्णो चित्त दुक्खाहदा रुअंतो संपद्विदा । ततो लग्गा य
इतरेहिं पि पाणेहिं अण्णाए सुसाणे देपहाण (? देह - पमाण) - समदाए जोसिदाए वरंगं विगमिदूणं (?) दूरतो दंसिदं लोए जधा एसा सा मारितति ।
इसिदत्ता वि य तदो महदा दुक्खेण समक्कंता कर्तत - संखोभिद सरीरा कलुणाईं विवमाणी स्वर - दम्भ - सूइ-कंटग खाणुग-गोकंटकादि-तिक्ख-विंधित-परमसुकुमाल-चलण -कोमलं गुलि-तलेहिं लोहिद-बिंदुगाईं विणिम्मुयमाणी जम-पुरिस-[स]रिस-परम- दारुण-घोर- चंडाल- मुहुम्मुक्का, वागुर-मुहुम्मुक्का इव हरिणी, भीम-भयचकिद - संकिदु ( द ) व्व अवयवखनी सव्वदो दिसीए बाधाई तं रुक्ख-पद्धर्दि अणुसरंनी अरणं समोगाढा | चिदेदि य रुममाणो धित्थु खलु गय- कण्ण-चंलाणं भगाधे जाणं । पुरा एदेणं चेव पवेण अहं महा- महंताए विभूतीए करि-तुरर्गपवर - रघवर-बद्ध (?पघ) कराणुवद्धा, महदा तुरिय- णिणाद-जय- साणंद-णंदिदा, चलचं बल-चारु-चामराडोव-धरिद धवळात पत्ता, पर-पादेहिं गदा । अकद- पुण्णी एहि पुण एगागिणी विसम- सावद-पडहोरडंत दुर्द्दन- तंत-हीहर-केर विसम-पक्खित्त दित्तगल-गहिदा पाएहिं महिं विगाहामि । कत्थइ अदि-विसम-गयकुलोर सिद-पडिसुआसद्द - भीमवि[स]त्था कत्थई दरिद-मयाधिव- हुंकार - विमुक्क परम- घोर-वि (व)उजासण-सरिस दारिद-हिदया, कत्थइ भल्लुंकि कंक- वै यस मिय-महिस-वराह-सदूल- गवय-खग्ग-गंडग- हत्थ (स्थि) --तरच्छच्छ मल्ल-- चिल्लल-रुरु - चमर - " -संबर- हरि-हैरिणदि ( चि) त्त- मैज्जार-कोव - कोक्कंत- महा सकुण-रसिद- परिभोद चलिद-क ( ग ) थतहिदया, भिल्ल-पुलिंदुद्दाम-सवर- पुक्कार-समुव्विग्ग-चेदसा कत्थइ णि (लु) कमाणी विपलायती य विसम-गहणेसु, कत्थई समभिभूदा रुयमाणी दुबख संतत्ता, कत्थइ गहणेषु रुक्ख-हेट्ठेषु वीसमंता, संपत्ति-वसेण केणम्बिइरअ (?) दिट्ठा रत्तीए सावद-भोदा गिरी-गुहासु णदि - णिगुंजेसु य वसमाणो, पुप्पुकण्णिद (?) - मुहला विसमसोग-संताप-हदा कमेण बहु-जोयणियं अद्धाणं विगाहमाणी तीय रुक्ख पंतीए पत्ता तं पेदियं आसमपदं (तु) चिर-काल- सुण्णं अतिरेय- भयंकरं रणरणार्यतं । पिदुणा परिभुक्त्ताणि य पदेसाई पेच्छमाणी सुमरमाणी य पिदुणो कलुणं कलणं परुण्णा । १. 'कर' खं० मो० प्रत्योः नास्ति ।। २. थायस खं. मो० विना । वाथायस खं०मो० ॥ ३. गयखयगंडगहत्थ खं० विना || ४. भाबर खं० मो० ॥ ५ हदिण खं. मो० ॥ ६. मज्जाकाकाक्कति खं विना ।। ७. थकत्थर्गेत खं• विना ॥
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