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वसुदेवहिंडो-मज्झिमखडे तह य मधु-विविठ्ठ(?त्त)-माज-वे(?मे)रग-सीधु-सुरा-हुर(?)-पसण्ण-तय-पत्तपुप्फ-फल-सुखंडामेलक-चंडसलागादि-मदिरा-विहाणाई परमाकत्तिमाई मत्तगय-पादवेसु सदासाणा(: सण्णा)इं ।
तत्तो य सुरभि-पवर-पंचवण्ण-कुसुम-णिम्माणाई सिरिदाम-गंडसेहर-मल्लगवीहलग-कण्णपूरग-कंठेउणमालहिक्कणिगादीया(?) मल्ल-विही समासओ ईभामिय उसभ-तुरग-णर-मगर-विहग--वालदिण्ण(१) रुरु-चमर-सरभ-संबर-कुंजर-वणलतपउमदल-भत्ति-चित्ता पमोद-पायवेसु पभूया ।
__ सभावओ(:समासओ) तव(ह) पभक्खण्ण-पाण-विधी विइत्ता तं जहा-पज्ज(पेज्जा)-ज्जूस ससावड(?)-तित्त-कसाय-धम्म(?अंब-म)धुर-लवण-रस-विधाण-परमाणगोधु(: धू)-मुन्भवा पभूत-घतपुण्ण-खंडलड्डुअ-मधुसिरि-वेढि-वेढिम-कवडग-पूर्वगसक्कर-गुल-खंड-सक्कुलि-इग-वर-पट्टिस-मियप्रिय घोरिअ-पेरिक्क-पिज्ज-कोसय-कुवलय-वर-कमलणाल-मोदय-तिलपप्पड-खारक्खभालएसकसणिय(:)-सुरभि(?) भूवलिय(१)-खडपूरग-प्सग-लंबकण्णिल्लगा-ऽप्लोगवट्टिय-तिरसय-गरम(?)-मंडय-सालिसित्थ-सेवइय-सिलोगमादिया खज्ज-विही । तह य विविह-कलमोदण मुग्ग-मास-सण(?)सत्तरस-धण्ण-पय-विसुद्ध-मउय-भोयण-सुरभि-पुंडिसादु-रस-पक्कराविवितगपत्त(?)-एल. पेलव-पवर-णागकेसर-सुगंधि-जीरक-विगवित्त(?)-फल-लेवग्ग(लवंग)-दि(ति)कडु-सोवचल-वणच्छोलाडिभिगुराइवर्ग(?)-धाण-संपण्ण-सूव-कट्ठिदिग-कट्ठिलग(?) गुलय-म(१वंसय-सोल्ल-सालइय-पिप्पलोप्साग-सागफल-वडय-मरिय-कुभंडक कालदुम-पुप्फ-विविहफल-गण-पालग्ग(कक)-पडोल-वालुंक-भयाविय(?)-सेडदालिय-पगयमादिमावि-उल्लणविधाणसुमहभूतणयच्छिमु(?)-मूलय-सुरभि-जंबीर-पवर-भरियय-समग्ग-णिज्जोज्ज(१)णारंग-पीयपूयग(गय)-कदल-ग(क)रमद-विव(?)-चिभिड-पिंडखज्जूर-बोर फणसंबजंबफल-सुरभि-संजुत्ता घय-मधु-णवणीत-दुद्ध-(र)दधि-सहिदा साकट्ठ-सर(?)-वर-वंजणोववेता अकत्तिमा अणोवमा य भोयण-विधी विइत्त(?त्ता) चित्तरस-पादवेसु ।
तह य एगसालग-दोसालग-तेसाल-चतुस्सालाई वट्टा-तंसा-चतुरंस-णंदीयावत्त-गब्भघर-जालघरय-पसाव(ध)ण-प(१)रयाई सदप्पणंजण-सित्थयसाला-गाल(?) त्तय-संपत्त-पवर-पासाद-भवण-भम्मिय-सगवक्ख-गरुल-पक्खग-पेच्छघर-विविध-मंडवक
१.०दीहा म० खं० ॥ २.गोधसुब्भ प० खं०॥ ३. वेढ वे० खं०॥ ४.०मादे या० खंविना ॥ ५. सावदु०ख० विना ॥ ६, ०पेलपवर खं० विना ॥ ७. रोलादम खं०॥ ८. एसु साल० ख० ॥
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