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बिइओ अट्ठकण्णगालंभो हंस-मिय-मयूर-कुक्कुड-विहि(ह)य-जाइ-त्रिणिविट्ठ-बिंबधारिणो(?) पयइ-पज्जलियपुष्फ-फल-पत्त-पलबंकुर-पलंबोलंब-सुक्क[? ड]-दुक्कड-विविधमणेगप्पगार-जोइक्ख-पगासण-विधी सकला ।
तुडिअंगेसु य पायवेसु किं ते आलिंग-मुदिंग-पडह-दुंदुभि-मगुंद-दंदि(! हुड). क्कि-भंभ-[हो]रंभ-पणव-पव्वग-भेरि-मुल्ल-किरि-करडक-डिंडिमक-मरुय-ददरग-संखडमर(?रु) अ-मइदिकच्छभि-स(सु) बोस-पत्रिसक-दुंब(?) तिसरि(१२)य-वर-वि(पि)रिलि-कंसतास( ल )य-वेगु-वीणा-विविध-स-संख-काहल खरमुहि-मुरवादि-पोखरादोज्ज-पवर-नत-वितत-घण-सुसिर-पयदि (१) !.. .संजुत्त-कंत-मणहर-अविराम-सहसुति-रसिय-मुच्छगोपु(?णाजुत्त-गंधव-गीत-वाइत-सुरलोगाणुकारि पवियंभमाणगंभीर-घोसो तेसु सततं अववि (स्थि)दो अस्थि ।
तह य कणग-मणि-रयणमइयं वदपूरिम(१)-पत्तिभतलक(?)-विविध-तकविद्व(तहगवड)-सोमं (:) कदलिक-करोड क-कुलक-कटोरय-वयस-सिप्पिपत्तग-सिरिमुंडकुंड(सिरिकुंड-मुंड)-पवरोवरेय(१)-धा(वा)रय-कक्ख(कक) र-यडग-कुंभ-कलसग-हंसिगरुला-जुवलय-वारय-सि(मि)य-विभव- (हग) खयर-गंधव-मिहुणागिती-विविधा भायणविही भिंगपादवेसु ।
[मणिअंगेसु ?] तह य वर मउड-के कटा(?कंट)क कुंडले (ल)-तिरीड-भादकहुरत्तच्छु(?)-गेवेज्ज-पवर-केऊर-चंदसूरमालिया-तालकंठिय-कणगसुत्तय-मत्थपदबंध-संखसंसियवलय-मेहलाकलाव-पवर-कंच(ची)दाम-रसणावलो-तरलपत्त--दोणारेमालियालग्गचक्क चकलता-मोरजाल-णे उर-खिखिणी-कणगसंकलोवलंबण-चूडामणि-तिलग-जालमा. दीया सगला आभरण-विही ।
कोवीणेसु जा य इमाओ जुत्तीओ भवंति, तं जहा-नलिण-कमल-कुवलयकुमुद-वैट्टियाओ, वियइल्ल-मल्लिय-जूहिय-वर-जाय(?इ)-केदगि-सिंधुवार-सहयारबकुल-वट्टियाओ य मरुवक-दमण-कुस-कास-करंबग-ददर-मलवुब्भव-काविमाण(?)चंचाल(?)-जुत्ति-ज उभव-णियवंधण कणित() गंधमादणग-वण्णव(ग) काम-कामवल्लभवसंत-पुत्तिवास(१)-पहरिसण सुरभ(भि) मियमद-गपूरमादओ एयाओ उडु-सुहदुमेसु ससदा वोणाउ(?) पत्तेय पत्तेय हरिचंदणं अणुत्तरं गंधवण्णग-विधिसु ।
१. कंकय ख० विना ।। २ ववट्टि० खं० ॥
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