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सयल-जण-जणिय-सोक्खं सुयणयण-सुबंधवाण तदिवसं। उवसमिय-जणणि-सोयं उवसग्ग-खयंकरं जायं ।।१९७।। वद्वाविओ नरिंदो पउमा-धावीए गुरुय-रहसे (२६ब) ण। रण्णा वि तीए दिण्णं सव्वंग-विहूसणं विविहं।।१९८।।
आइ8 नरवइणा वद्धावणयं च सिरिउरे नयरे। विविह-पाहुड-विहत्थो हिट्ठो तहिं वच्चए लोओ।।१९९।। वद्धावणयं राया वद्धावणयं च करेइ परितुट्ठो। मेल्लावइ बंदियणं 'रिणं परिच(च्च)यइ सव्वाणं ।।२०० ।। घोसावेइ अमारी दाणं दुहियाण देइ इच्छाए । परिओसइ सुयणयणं सम्माणइ णयरलोयं च।।२०१।। वजंत-तूर-मंगल-रवेण नच्चंति तणि-सत्थेण। दह-दियहाई किसोयरि ! वद्धावणयं कयं रण्णा।।२०२।। देवीए तओ पउमा-धाविं सम्माणिऊण दाणेहिं। भणिया एसा बाला वद्धउ लहु तुह पसाएण।।२०३।। एगम्मि गए मासे संपत्ते सोहणे तहा (२७अ)दिवसे। बालाए 'सुंदरीए विहियं च सुदरिसणा नाम।।२०४।। दिवसे दिवसे लायण्ण-कंति पूरिजमाण-अंगेहिं। वद्धइ संपुण्णंगा चंदो व्व कला-विसेसेणं ।।२०५।। चंदेण जहा रयणी सरोवरं सुरहि-सेयं-कमलेहिं। सोहइ तह सा जणणी उच्छंगठियाए बालाए।।२०६।। कुमुयाण जहा चंदो सूरो कमलाण संपया विउला। सुयणाणं तह रिद्धी सुदरिसणा सुयणु ! पयडेइ।।२०७।। एवं सुहेण जा जंति तीए वरिसाइं पंच अहियाई। ता सोहणम्मि दिवसे विउसो भणिओ नरिंदे(२८अ)ण।।२०८।।
१. रूणं. २. सुंदरिए. ३. सेइ.
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