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________________ पंच महव्वय (पंच महाव्रत ) - ९५८, बन्ध (बन्ध ) - ६९३. ग- १२, १४५१. बंभचेर (ब्रह्मचर्य) - ४३३. पंचविहणाण ( पंचविध - ज्ञान ) - ११५२ बंभवय (ब्रह्मचर्य - व्रत) - ४९१. ११७५. बलदेव (बलदेव) - ९९८. १६१ पंचविहपमाय (पंचविध-प्रमाद) - गद्यखंड-६ पंचसमिइ (पंच-समिति ) - ११६७. पचक्कखाण (प्रत्याख्यान ) - ७०३. पडिबोह ( प्रतिबोध ) - ग. ५ पडिलाह (प्रतिलाभ ) पत्तेय बुद्ध (प्रत्येक-बुद्ध) - ६८६. पनरस कम्मादाण (पंचदश कर्मादान) - ७०८. पमाय (प्रमाद) - १५६१. परपाखंड पसंसा - १५५६. परपासंड संथव - १५५६. परमभूसण ( परम - भूसण ) - १३८२ परिग्गह परिमाण (परिग्रह परिमाण) - ६७८. पवणकाय (पवनकाय) - ६३८, ६८४. पवयण (प्रवचन) - १५४०. पहावणा (प्रभावना ) - १५४२. पाणय- कप्प (प्राणत - कल्प) - १२१२. पुढविकाय (पृथ्वीकाय) -६३६. पोसहवय (पौषध व्रत) - ६८०. फासुयदाण (प्रांशुक - दान) - १९१. Jain Education International बायालीस दोस विसद्ध आहार ( द्वाचत्वारिंशत् विशुद्धआहार) - ग. १२ बारसविहतव (द्वादश - विध- तप) ९५९. बावीस परिसह ( द्वावीस परिषह) - ४२८. बुद्धबोहि (बुद्धबोधि) -६८६. भद्दतव (भद्रतप) - १३८४. भव्व (भव्य ) - ६२२. भावणा (भावना) - ९६०, १०२८, १०२९. भावत्थव (भावस्तव) - (११९३, १२६९). भावसुद्धि (भाव-शुद्धिदान) - ९९६, १००४. भोगपमाण (भोगप्रमाण) - ६७९. मइणाण (मतिज्ञान) - १२१५. मण - गुप्ति (मनः गुप्ति) - ४९१ . महाभद्दतव ( महाभद्र तप ) - १३८४. मिच्छत्त ( मिथ्यात्व ) - ३२, १५५७, १५६१, १५५३. मुक्त (मुक्तजीव) - ६८३, ६८४, ६८५. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002646
Book TitleSudansana Cariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaloni Joshi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2002
Total Pages258
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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