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१०० निम्मल-विसेस-तव-ताव-सोसियासेस-दिढ-बलंगा वि। गुरु-मोह-पायव-निमूलणेक्क-प(१७१ब)र-मत्त-करिणी व्व॥१११६ ।। सद्दहिय-सयल-जीवाइ-तत्त-करुणापरा वि भूएसु। दारिय-कंदप्प-गइंद-वियड-कुंभत्थल-पएसा ।।१११७।। सावज-जोग-पसरंत-वाय-मण-काय-रुद्ध-पसरा वि। णिव्वाण-णयर-पह-गमण-दच्छ-चल-पवण-मणभावा।।१११८।।
परिचत्त-तुंग-पओहरालसा सेस-सुजुवइ-संगा वि। निम्मल-तव-लच्छि-वरंगणाए आलिंगिया तह वि।।१११९ ।। पणमंतामर-गंधव्व-जक्ख-सिर-मउड-घिट्ट-चलणा वि। दुहिए वि सव्वजीवे अप्प-समे तह वि मण्णंति।।११२० ।। (१७२अ)निजिय-मयणा विअणंग-सिद्धि-वहु-संग-सोक्ख-तल्लिच्छा। चत्त-लोहा वि केवल-णाण-महा-रयण-णिर (?) लुद्धा।।११२१॥ कुल-जाइ-रूय-बल-लाह-णाण-तव-लच्छि-जणिय-सोहा वि। अट्ठ-मय-मत्त-वारण-निण्णासिय-दाण-केसरिणो।।११२२ ।। अण्णं चगय-गंडय-णउल-फणिंद-मूस-मज्जार-हरि-मया मुइया। जाय-परोप्पर-पणया जेसिं पासे सुणिवसंति।।११२३ । । इय एरिसा मुणिंदा अमुणिय-विसयाहिलास-सुह-दुक्खा। दिट्ठा रायसुयाए परिचत्त-भया महासत्ता।।११२४।। ते पिच्छिऊण बहुमाण-जणिय-रोमंच-कंचुयंगाए। अंसु-ज(१७२ब)लोल्लिय-नयणाए सायरं पुलइयंगाए।।११२५ ।। धरणियल-निहिय-भालयल-जाणु-कोप्पर-णिहित्त-गत्ताए। रायसुयाए पणामो सुमुणिवराणं कओ विहिणा।।११२६ ।। सह परियणेण पुणरवि तेसिं पय-पंकयं णमेऊण।
भत्ति-भर-पुलइअंगा थुणेइ गाहा चउक्केण।।११२७ ।। १. परचित. २. सेसु. ३. थुणेहि.
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