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________________ ७४ एयारिस-सुहय-सुहासिएहिं संभासिऊण सा देवी। खामेवि नयर-लोयं सीलवई पवहणे चडिया।।८४० ।। तह जणणि-जणय-बंधव-नयरजणं सहियणं च खामेवि। सीलवईए सहिया सुदंसणा पवहणे चडिया।।८४१ ।। अवियकय-विविह-तव-विसेसा परिसेसिय-निविड-कम्म-घ(१२२ब)णजाला। अमरच्छरू व्व णजइ देवविमाणं व्व आरूढा।।८४२ ।। उसहदत्तो वि सेट्ठी णरवइणो चंदलेहदेवीए। विणएण कय-पणामो चडिओ निय-पवहणे सुयणु! ।।८४३।। इय पुणरवि पुण दंसण-पणाम-जण-जणिय-मण-चमुक्कारा। रायसुया भरुयच्छे सिंघलदीवाओ संचलिया।।८४४।। ।। इय भरुयच्छ-नयर-निवेसिय सिरि संवलिया विहारस्स(१२३अ) सुंदससणा-चरिए सिंघलदीवाओ सुदंसणाए पवहणारोहणवण्णणो नाम सत्तमो उद्देसो सम्मत्तो।। विजयकुमार-साहु-संविहाणो नाम अट्ठमो उद्देसो। इत्थंतरम्मि पडु-पडह-भेरि-काहल-हुडुक्क-ढक्का-रव-बहिरिय गयणंतरालो अप्फालिओ जय-तूर-सद्दो। गायंति महुर-सरा गायणा, नच्चंति घण-पीण-पओहरालस-विणिज्जिय-रइ-रुय-सोहाओ सवणपत्तंत-तार-तरलनयणाओ वर-जुवई(१२३ब) ओ, दिन्नए महादाणं, पढंति मुहलगा मागहा, वण्णंति गुणविसेसयं फफावय(?)।। सरस-ससि-किरण-वन्नुजला वेन्निज्जए राय-सुयाए कित्ती, 'संमाणिजंति पवहणाहिवा, तोसिजंति णिज्जामया, उक्खिप्पंति णंगरा, १. अमरच्छु. २. समाणिजंति. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002646
Book TitleSudansana Cariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaloni Joshi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2002
Total Pages258
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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