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जय जय सद्दो मागह-जणेण भट्टेहि कव्व-निग्घोसो। विहिओ वर-वारविलासिणीहिं तह मंगलाचारो।।७९२ ।। इत्थंतरम्मि तक्कालोइयं पढियं पहाय-मंगलं मुहल-मागहेण तं जहाणिसि-दिवस-घडिय-पहर-च्छलेण मणुयाण आउमयं गलइ। इय जाणिऊण तुरिया जिणिंद-धम्मुज्जया होह।।७९३।। पिय-संग-सुहं दिवसा(११५अ)गमम्मि पावंति चक्कवायाइं। मिल्लंति तरुयरग्गचलणेहिं विहंगम-'कुलाई।।७९४।। नक्खत्त-कुमुय-लच्छी मउलिज्जइ मउलियम्मि ससिबिंबे। अह सकलुसाणं संगेण परिहवो होइ किं चुजं ।।७९५।। रविकर-नियरोसारिय तिमिरं संचरइ गिरिवर-गुहासु। सरणं पत्तं खुदं पि अहव रक्खंति जे गरुया।।७९६।। दिणयर-कर-नियरासासियाई वियसंति कमल-संडाई। अवियप्पं होइ फलं अहवा पडिवण्ण-निव्वहणे।।७९७ ।। (११५ब)जाए पहाय-समए आइटुं सुयणु ! कडयवालस्स। दिण्णा पयाण-ढक्का पुटुं वेलाउलाहि मुह।।७९८।। सण्णिजंति य सुहडा तुरया पुरिसेहिं पक्खरिजंति। सज्जिजंति रहा तह गया गुडिजंति गजंता।।७९९ ।। इय सण्णद्धे कडए राया देवच्चणं करेऊण। उसहदत्तेणं सहिओ आरूढो संदणे सुहए।।८०० ।। तह चंदलेहदेवी उच्छंग-ठियाए नियय-धूयाए। सीलवईए-सहिया(११६अ) आरूढा सुहय-जंपाणे।।८०१ ।। रायकुमारा सत्त वि मंतियणो तह विलासिणी-निवहो। सव्वो वि नयर लोओ सुंदसणाए समं चलिओ।।८०२।। इय वेलाउल-समुहो राया परिवार-संजुओ सुयणु !।
संचलिओ नं रयणा[य]रु व्व परिचत्त-मजाओ।।८०३।। १. धम्मजुय. २. कुलाई. ३. नखत्त. ४. क.
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