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________________ ६४ प्राचीन मध्यकालीन साहित्यसंग्रह अपराजित अभिधान, परिहरीय वर विमान, काती वदि बारसिं ए, रवि ऊगम दिसिं ए सिवादेवी-ऊअरि ऊपन्न, चिहु नाणे संपन्न, बावीसमउ जिणवरू ए, चउद सुपनधरू ए. ६ . सपन लहइं हीडोलाटइं, खाटइं पउढीय देवि, गोरी पीन पयोहरी, उहरी माहिं सवेवि. ७ पहिलउं पेखई ए गयमर, अमर गइंद उदार, वृषभ कपूररसामल, सामल सिंग सिंगार. ८ चंद्रधवल पंचानन, कानननायक एक, दिसिगज विहिअ सुधारसि, सार सिरि अभिषेक. ९ दीहर ढोदर [टोडर] नवसर, नवसर मधुकरवृंद, सुंदर अमीयरसागर, सागरनंदन चंद. १० दिणयर तेजिं दीपतउ, जीपत[उ] तिमिर अभंग, सोवनदंडि धरी धज, कीधउ मलिजसु गंग. ११ मंगल कलस अमीभरिउ, कंठिं परीठीअ माल, पदमसरोवर निर्मलु, जसु जलि रमई मराल. १२ मोतीअ-मणि-रयणायर, सायर खीर-निहाण, झगमगतुं मणि-रयण, नयणर्नु ठाम विहाण. १३ भासुर गयणि गरूअडउ, रूडअउ रयणनउ रेड, पावक धूम नवि धरतउ, करतउ म नीमेडु. १४ काव्यं एवं वर्णितवारणादिविविधस्वप्नावलीसूचितस्वर्लोकावतारास्पदीकृतशिवादेवीपवित्रोदरः, देव: श्रावणपंचमीनिशि निशारत्नांशुनश्यत्तम:स्तोमार्यं जनुराससाद जगतामानंदसंपादकं. १५ रासक श्रावण शुदि पंचमी दिन जनमीउ, नमीउ सुरासुर टोलई रे, वाजई वाजित्र हुइं अमर मानव रंग, नवरंग नारी गाइ धउले रे. १६ सुरतरूकुसुमसमूहइं वरिषइं अमर अनेकइं रे, खीरसागरि-जलि कनककलस भरि जिन अभिषेकइं रे. १७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002640
Book TitlePrachin Madhyakalin Sahitya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayant Kothari
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages762
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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