SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 592
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५७७ समयसुंदरनां केटलांक नानां काव्यो [खरतरगच्छना सकलचंद्रशि. समयसुंदरनी रास अने स्तवन-सझायादि प्रकारनी संख्याबंध कृतिओ मळे छे, जे सं.१६४१थी १७००नां रचनावर्षों बतावे छे. जुओ जैन गूर्जर कविओ भा.२ पृ.३०६-८१ अने भा.३ पृ.३६९-७१ तथा गुजराती साहित्यकोश खं.१ पृ.४४८-५०. क्र.५ अने १०थी १६ 'जैन गूर्जर कविओ' मां नोंधायेल छे. . क्र.१थी १० अने १२थी १६ ‘समयसुंदर-कृति-कुसुमांजली' (संपा.अगरचंद नाहटा)मां अनुक्रमे पृ.३११-१२, ३, ४३३, ७, २९०-९१, १, २८५-८६, २००, ९६-९७, ७६-७७, १७६, १६१-६२, १६९, १७०, १६८-६९ पर छपायेल छे. एना पाठोनो लाभ अहीं लेवामां आव्यो छे. ('ख' संज्ञा) क्र.१मां त्यां बे कडी वधारे छे. क्र.२ तथा ४ चोवीसीमांनां स्तवन छे. क्र.५मां पंक्तिओनी वधघट छे, देशाईना पाठनी पंक्तिओनो क्रम बदलवानो थयो छे अने पाठांतर तो महत्त्वना ज नोंधी शकाया छे. ए नोंधपात्र छे के 'जैन गूर्जर कविओ'मां आ कृतिना आरंभ-अंतनी जे पंक्तिओ नोंधायेली छे ते पण अहींना पाठथी जुदी पडे छे. क्र.१७ने देशाईए समयसुंदरनी कृति कई दृष्टिए गणी छे ते समजातुं नथी. एमां नामछाप तो 'कवियण' एटली ज छे ने देशाईए समयसुंदर (कवियण) एक जुदा नोंधेल छे (जैन गूर्जर कविओ भा.२ पृ.१२४-२६) जेनो 'स्थूलिभद्र रास' सं.१६२२नो मळे छे. आ कृति एनी होई शके ? 'समयसुंदर-कृति-कुसुमांजलि'मां पण आ कृति प्राप्त नथी. - संपा.] १. स्थूलिभद्र गीत राग सारंग प्रीतडिआ न कीजइ हो नारि, परदेसीया रे, क्षणे क्षणे दाझे देह. वीछडिया वहालेसर मलवो दुहिलोजी, साले साले अधिक स्नेह. प्रीतडिया न कीजे नारी, परदेसीआ रे. काल आव्या ने आज उडी चालसे रे, भमर भमतो जोई, साजणिया वळावीने पाछा वळतांजी, धरति भारणि होइ. प्रीत. मनना मनोरथ सवि मनमा रह्याजी, कहीए केहनि साथि, कागलीओ लखतां भीनो आंसुएजी, चडियो हो दुर्जन-हाथ. प्रीत. थूलभद्र कोसा बुझवीजी, पालि हो पूरव प्रेम, सील-सुरंगी पेहरो चुनडिजी, समयसुंदर कहे एम. प्रीत. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002640
Book TitlePrachin Madhyakalin Sahitya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayant Kothari
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages762
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy