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________________ ४०५ लोंकागच्छीय पट्टावली (लोंकागच्छना एक साधुए लखेली छे.) [आ कृति 'जैन गूर्जर कविओ' ने गुजराती साहित्यकोश खं.१'मां नोंधायेल नथी. - संपा.] __अथ पट्टावली लिख्यते. अथ हि वै भगवंत श्री महावीरजीनौ सर्वायु बहोत्तर वर्ष पूरो थको कांइ एक उणौ एतलै एक अंतर्मुहूर्त्तनौ सेष आयु आवी रह्यो छे ते समानै विषै सकेंद्र प्रश्न करै छै - श्री भगवंतजी आगलि कहै छै के हे भगवंतजी, तमारे नामै भस्मग्रह द्वितिय सहस्त्र वर्षनो अशुभ ग्रह वसै छे तेणै करीनै श्री जैन सासन डोहलाई जास्यै, श्री दयाधर्म डोहलास्यै अने लोक कहिस्यै, श्री महावीर श्री चौवीसमा तीर्थंकरनौ सासन डोहलाई छै इम लोक कहस्यै ते वास्तै आउषो एक अंतर्मुहूर्त्तनो वधारौ. तिवारै भगवंत कहै, हे सक्का, हे सकेंद्र, बीजा सर्व वात घटाडी घटै अने वधारी वधै पिण आउखौ-कर्म घटाड्यो घटै नहीं, वधार्यो वधै नहीं तथा भस्मग्रह सुधी तौ दयाधर्म डोहलास्यै अनै पछै रूपा जीवा नाम आयरिया भविस्सई तेह श्री दयाधर्म प्रवर्त्तावस्यै. एह प्रश्न पूरो थयौ थकै भगवंत श्री महावीरजी मोक्ष गयै थकै अजर अमर निरंजन भगवंत थया. हिवै अनुक्रमै पाट श्री गणधरादि आचार्यरा अनुक्रमै पाट लिख्यते. हिवै श्री महावीरजीनै पाटे सुधर्मास्वामीजी ते भगवंतथी २० वर्ष मोक्ष पुंहता. १ __ सुधर्मा स्वामीने पाटै जंबुस्वामी ते वीरात् चौंसठिमें वर्षे मोक्ष पुंहता. २ जंबुस्वामीने पाटै प्रभव स्वामी ते वीरात् ...देवलोक पुंहता. ३ प्रभवा-स्वामीने पाटै सिज्झंभव ७५ वर्षे दिवंगत पुंहता. ४ सिझंभव-स्वामीनै पाटै यसोभंद्र १४८ वर्षे देवंगत पहुंता. ५ यसो. संबूतविजै १५९ वर्षे देवं. ६. जिह पाटै भद्रबाहु-स्वामीने वीरात् १७० वर्षे देवं ७ भद्रबाहु पाटै स्थूलभद्र ते वीरात् २१५ वर्षे देवं. ८ स्थूलभद्र पाटै आर्य महागिरि ते वीरात् २४५ वर्षे देवं. ९ आर्य महागिरि पाटै बलसिंहाचार्य ते वीरात् २८० वर्षे देवं. १० बलसिंह पट्टे शांत आचार्य वीरात् ३३२ वर्षे देवं. ११ शांत पट्टे स्यामाचार्य ३७३ वर्षे देवं. १२ स्यामाचार्य पट्टे सांडिल्लाचार्य ४०६ वर्षे देवं. १३ सांडिल्लाचार्य पट्टे जितधर्म आचार्य वीरात् ४५४ वर्षे देवं. १४ जितधर्म पट्टे आर्य समुद्र वीरात् ५०८ वर्षे देवं. १५ आर्य समुद्र पट्टे नंदिलाचार्य ते वीरात् ५९१ वर्षे देवं. १६ नंदिल पट्टे नागहस्ती वीरात् ६४४ वर्षे देवं. १७ नागहस्ती पट्टे रेवती आचार्य ते वीरात् ७१८ वर्षे देवं. १८ रेवती पट्टे खंदिल आचार्य ते वीरात् ७८० वर्षे देवं. १९ खंदिल पट्टे सिंहगणि वीरात् ८१४ वर्षे देवं. २० सिंहगणि पट्टे समिताचार्य ते वीरात् ८४८ वर्षे देवं. २१ समिता पट्टे नागार्जुन ते वीरात् ८७५ वर्षे देवं. २२ नागार्जुन पट्टे गोविंद आचार्य वीरात् ८७७ वर्षे देवं. २३ गोविंद पट्टे भूतदिन्न वीरात् ९४२ वर्षे देवं. २४ भूतदिन्न पट्टे लोहिताख्य वीरात् ९४८ वर्षे देवं. २५ लोहिताख्य पट्टे दूषगणी ते वीरात् Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002640
Book TitlePrachin Madhyakalin Sahitya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayant Kothari
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages762
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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