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प्राचीन मध्यकालीन साहित्यसंग्रह
कवित -
पांच अरब ने खरब कीधे जेणिं जिमण-वारह, सात अरब नि खरव दीध दुब्बल परिवारह, द्रव्य पंच्यासिय कोडि कीध भोजक वरविड] भट्टां सप्ताणुंए कोडी फूल तंबोली हट्टां. चंदन चीर कपूर मअि [मखि] कोडी बहुत्तरि कापडे,
पोरवाड वंश श्रवणे श्रुण्या श्री वस्तुपाल महिमंडले. इत्यादि अन्य अनेक सुकृत्तिकारक श्री भुवनचंद्रसूरि उपदेशात् श्री अंबिका कवड यक्ष सांनिधकारक प्राग्वाट लघुशाखा बिरूदधारक एव वर्ष १८ सुकृत कीg. सर्वायु वर्ष ३६ संपूर्ण तेहनो वि.सं.१२९८ वर्ष अंकेवालिया गामे मंत्री श्री वस्तुपालनो स्वर्गवास थयो. पुन: विक्रम सं.१३०२ वर्षे लघुभाई मंत्री तेजपाल चंद्राणा गामे स्वर्गवास पाम्या. इति मंत्री वस्तुपाल भाई मंत्री तेजपाल संबंध समाप्त.
४४. तत्पट्टे श्री जगच्चंद्रसूरि : श्री गुरू जावजीव आंबिल तप अभिग्रहना धारक थका मेवाड भूमंडले विहरता श्री आहाड नगरी आव्या. एवामां गच्छना साधुसमुदाय प्रति क्रिया आचारे शिथिलपणुं जाणी पहेलां दीधो जे श्री शारदानो वर तेना तप थकी अने श्री देवभद्रनु सायुज्य पामी उग्र क्रियानो आरंभ श्री आहाड नगरे कीधो. त्यां श्री सूरि वर्षाकाले चोमासु रह्या एटले जावजीव आंबिल तप करतां वर्ष बार थया त्यारे चित्रोडपति राउल श्री जयतसिंह घणा मनुष्य मुखे छ विगयना त्यागकारी सचित्त परिहारी आंबिल तपनाकारक सां[भली शालाए आवी देही कुशल कहे.]
(अपूर्ण) [जैन श्वेताम्बर कोन्फरन्स हेरल्ड, जुलाई-ओक्टो.१९१५, पृ.३२८-७३]
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