SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 302
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २८७ हंसराजकृत हीरविजयसूरि चतुर्मास लाभप्रवहण सज्झाय एह, जाणी पूज्य पेखतां, भगतजन-मन ठरइ रे (२), मेह वरसइ अखंड धार, नदी पूरइ सर भरइ रे (२). ३१ पुन्यक्षेत्र सींचइ नीरि, वाणी ऋषिराजनी रे (२), मुखि मीठा पूज्य वेला ध्यन आजनी रे (२). ३२ राग धवल धन्यासी आ भवसमुद्र सुभर भर्यो ए, जिनधर्म अविहड वाहण जिणंद नीपाइउं ए, तारइ तारइ कुंअराजी-कुंअरनुं वाहण, ___ भली परिइ ए तारइ (२) कुं० आंकणी. ३३ जगत्रना लोकनई तारवा ए, घडिउं विश्वकर्मा एह, सयल दुख वारवा ए, तारइ० ३४ सुक्रित-क्रियाणां सुभर भरिया ए, लेइ आविउ साधु कृपाल, सगाल थया पुण्य तणा ए. तारइ. ३५ त्रिभोवन-लोक सुखी थया ए, इहलोक नइ परलोक, भलइ गुरू आवीआ ए. तारइ० ३६ समकित दृढ सढ दीपतो ए, सत्यवचन तेहां नेम, __ आज्ञार्थंभ रोपीउ ए. तारइ. ३७ कीरतिधज जस लहकती ए, सद्वहणा नांगरदोर, ___मालिम तिहां मुनिवरू ए. तारइ. ३८ अनुकंपा सुंदर छत्रडी ए, फुमतुं अतिहिं उदार, खिमा झूलि अति भली ए. तारइ. ३९ मिथ्यात्व-डूंगरडा जालवइ ए, कुमती-चोर प्रचंड, हेलामां जीपीआ ए. तारइ. ४० पुण्यकरणी गुण डाबडा ए, आउलां व्रत-पचखाण, दयादान नोर भलो ए. तारइ० ४१ संतोष पंतास रूडि राखीइ ए, संवेगरस जल सार, बलवंत मुनि खलासीआ ए. तारइ. ४२ वाजिवनाद सझायना ए, सांभलइ श्रीय मुनींद्र, ___ मालिम वर नाखूउ ए. ४३ धनदत्त शेठ परिवार-शुं ए, सलामत आविउ खंभाति, क्रियाणां सभर भरी ए. ४४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002640
Book TitlePrachin Madhyakalin Sahitya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayant Kothari
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages762
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy