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________________ विवेकहर्षकृत हीरविजयसूरि (निर्वाण) रास २७३ दूहा इम निज पटधर किद्ध, सुणि जिनशासन जयकार, केवली विण कुण वर्णवइ, हीरजी हर्ष अपार. ४९ श्रीमखि कहइ गुरु हीरजी, धन्य विजयसेन गणधार, जिणि अम्ह देखति थापिउ, जिनशासन जयकार. ५० जिनगुरुचरणप्रसादथी शासन-बासन-काम, हवां तथा वली होइ छइ, होस्यइ वली अभिराम. ५१ श्री शत्रुजय तीर्थनी यात्रा करीजइ हेव, श्री युगादिजिन वंदि करी, कीजइ तीरथसेव. ५२ राग सामेरी ईम चिंती मनह मझारि ए, पाटणथी करई विहार ए, ___ गणधार ए, राजनगरि पधारीआ ए. ५३ शाहजादउं शाह मुराद ए, हीरनई वंदइ आवी आल्हाद ए, प्रसाद ए, मागईं हीरजीनी दुआ घणी ए. ५४ बगसीस करई संभारणी ए, सहू सहिर सडी न मारणी (ए), जगतारणी रे, जुउ हीरजीनी देशना ए. ५५ श्री शत्रुजयगिरिवाट ए, हीरजी अति गहगाट ए, घाट ए, मुगता कीधा गछधणी ए. ५६ अनुक्रमई पालीताणई ए, पुहता गछपति मंडाण ए, सुजाण ए, यात्र करईं तीरथ तणी ए. ५७ तिहां पुहता हीरजी सांभली, ठामि ठामिना संघ आवईं वली, ___मनरली, थावर जंगम भेटवा ए. ५८ ईक शत्रुजय मुगतो हवो, वली तिरथ त्रिण संगम नवो, चैति [पूनमो] दिन पुन्यईं मिलईं ए. ५९ संघ पाटणनउं सामटउ, अमदावादी अति ऊलट्यउ, धंसट्यउ धींग खंभायतनो वली ए. ६० मालवनउ संघ आवईं ए, मनमोहन मोती वधावईं ए, रचावइ ए, अंगपूज आभरण-स्युं ए. ६१ लाहुर संघ सुहामणउ, मरूमंडलनउ पणि अति घणउ, दीव तणउ, संघ अतीहि रलीआंमणउ ए. ६२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002640
Book TitlePrachin Madhyakalin Sahitya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayant Kothari
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages762
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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