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________________ २४१ रत्नविजयकृत अमदावाद तीर्थमाळा पोल पांजरे च्यार प्रासाद, भेटि शांति मेटो विखवाद; वासपूज्य शीतल जिन सार, प्रभु पुजी करो भवपार. ८ मुडेवानी खडकी एक, तिहां देहरां दोय विवेक; मुडेवा पारस पांमि, धर्मनाथ नमुं शिर नामी. ९ शांतिनाथ हरण भवताप, महाजननें पांजरे आप; एक चैत्य कालुपूर दीठो, जिन शांति सुधारसमीठो. १० धनासुथारनी पोल प्रकास, त्रण देहरां दिठां उल्लास; श्री आदीश्वर दीनदयाल, दीठा पारस पाप-पखाल. ११ कुंथुनाथ वंदो नरनार, कालु संघवीनी पोल मजार; बे देहरां अमरविमान, चिंतामणी अजीत निदान. १२ जांपडा पोल जूहारण कोड, शांतिनाथ नमुं कर जोड; राजा मेतानी पोल उदार, दोय देहरां सुखदातार. १३ कुंथुनाथ आदीश्वर तार, बीजो तारक नही संसार; चंग पोलमें नेम सुरंग, मुखदेखण अमनें उमंग. १४ गोलवाडनी पोल समाज, जिनराज महावीर महाराज; पुर सारंग तलिया जाण, प्रभु पारस अभिनव भाण. १५ कामेश्वर पोल निहाल, जिन संभवनाथ संभालि; वागेश्वरी पोल विख्यात, आदीश्वर त्रिभुवनतात. १६ चाडाचेड्यानी पोल प्रधान, नाथ संभव चंद्र समान; पोल नामें सावला पास, वीर शांति नमो उल्लास. १७ जिनवंदन लाभ अपार, बोले गणधर सूत्र मझार; जिन वंदे थइ उजमाल, भव त्रीजें वरे शिवमाल. १८ दोहा चंद्रकिरण सम शोभतो, चंद्रप्रभु जस नाम; धन पिंपली पोलें सदा, अति उत्तम जिनधाम. १ ढालनी पोलें वंदना, मुनिसुव्रत महाराय; तुम पदवंदन भवि लहें, तीर्थंकरपद प्राय. २ जमालपुरना पासजी, कीजे पर-उपगार; गोडि जोडि तुम तणी, सुणि नहि संसार. ३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002640
Book TitlePrachin Madhyakalin Sahitya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayant Kothari
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages762
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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