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प्राचीन मध्यकालीन साहित्यसंग्रह गढ मढ मंदिर वर तवाल[तलाव] जल बारइ मासी; पोलि विपुल अति हाट, ओलि चहुटां चउपासी. ५ राज करई तिहां भाणराय, भूपति सपराणउ; आण न खंडइ तस तणी ए, कोइ राइ न राणउ. ६ व्यवहारी बहुला वसई ए, व्यापारी महंता; वरण अढारइ विविध जाति, धरमई गहगहतां. ७ तलहट्टीइं श्री पासनाह, प्रासाद निहालउ; पूजीअ पणमीअ पोसमासि, पातग सवि टालउ. ८ खमण वसहीं पेखी हरखि गिरिसिरिवरि चडीआ; आगलि आदि जिणंद, भवण दीसई पावडीआ. ९ गढ ऊपरि गिरि समी सुई प्रासाद करावी; कुमर नरेसरि आदिनाह, पडिमा संठावी. १०
जाण अजाण सहू कोई... 'रायविहार' विहार कंति इणि कारणि कहीई. ११ चंपक वेलि गुलाल फूल, जासूल अनोपम; जाई जूही मचकंद कंद, मंदार मनोरम. १२ पाडल परिमल महमहंत, बहकंतउ वालउ; वालउ बेवडी केवडी ए करि लेई निहालउ. १३ वउलसिरी बिसरीय माल, मरूउ अनई दमणउ; सेवंत्री सोवन्न जाई जेह परिमल बिमणउ. १४ फूल अमूलिक इसिआं वेलि, आदीसर पूजईं; मनह मनोरथ तेह तणा सवि संपद पूजइ. १५
वस्तु कुमर नरवरइ कुमर नरवरई, गुरूअ विहार, गिरि ऊपरि कारवीअ, आदिनाहजिणबिंब ठाविअ; संघ आवइ दह दिशि तणा, भविअ-लोक बहु भावि भाविअ, निरमल धोवि करी अनइ, पूजई आदि जिणंद, मनह मनोरथ ताहं, फल पामइं परमानंद. १६ कुमरनरिंद विहार पूठि पासाय पइटिअ, अजिअ जिणेसर वनवेसु अच्चब्भुअ त्रिति]छिअ;
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