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रत्नचंद्रगणिकृत पडधरीप्रासादबिंबप्रवेशाधिकार स्तवन
कलश
तपगण-विभूषण विगतदूषण विजयसेन सूरींद ए, श्री अकबर - सुलतान-रंजक वाचक श्री शांतिचंद्र ए, तस सीस सोहइ भविक मोहइ रतनचंद मुणिंद ए, सुकवि बोलई नमो भविआ रूषभ शांति जिणिंद ए. ३१ इतिश्री पडधरी- प्रासाद-बिंब-पइसाराधिकारस्तवनं संपूर्णम्. नवीन नगरे इन्द्रलीलो
विजयभूषण: प्रासादः ४२ गज उंची एकवीस गज पुहुलो पस्तालीस गज लांबो. [अध्यात्मक कल्पद्रुम, प्रका. जैन धर्म प्रसारक सभा, भावनगर, पृ. ५६-५८]
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