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कितनी ही नयी कहानियों एवं सूक्तियों का समावेश किया। इस ग्रन्थ की भाषावैज्ञानिक विशेषताओं पर से हर्टल को मान्यता है कि अन्य बातों के साथ-साथ ग्रन्थ कर्ता ने अपनी रचना में प्राकृत रचनाओं अथवा कथाओं का लौकिक भाषा में उपयोग किया है।'
यहाँ प्राकृत जैन कथा ग्रंथों में पाये जाने वाले पशु-पक्षियों, पुरुषों और स्त्रियों संबंधी कतिपय मनोरंजक लौकिक आख्यान दिये जाते हैं जिनकी तुलना पंचतंत्र, जातक, शुकसप्तति, बेतालपंचविंशतिका, कथासरित्सागर आदि की कथाओं से की जा सकती है ।।
सर्वप्रथम हम पशु-पक्षियों की कहानी लेते हैं । पशु-पक्षियोंकी कहानियाँ
सियार और सिंह किसी सियार ने मरा हुआ हाथी देखा । वह सोचने लगा--बड़े भाग्य से मिला है, निश्चिन्त होकर खाऊँगा ।
इतने में वहाँ एक सिंह आ पहुँचा । कुशल-क्षेम के पश्चात् सिंह ने पूछायह किसने मारा है ?
सियार-व्याघ्र ने महाराज !
सिंह ने सोचा, अपने से छोटों द्वारा मारे हुए शिकार को नहीं खाना चाहिए।
वह चला गया ।
इतने में व्याघ्र आ गया । व्याघ्र के पूछने पर गीदड़ ने कह दिया कि सिंह ने मारा है।
व्याघ्र पानी पीकर चल दिया।
थोड़ी देर बाद एक कौआ आया । गीदड ने सोचा-यदि इसे न दूंगा तो इसकी काँव-काँव सुनकर बहुत-से कौए इकट्ठे हो जायेंगे। फिर बहुत से सियार आ जायेंगे । किस-किसको रोकूँगा मैं ?
सियार ने कौए की तरफ मांस का एक टुकड़ा फेंक दिया । कौआ लेकर उड़ गया। १. विण्टरनित्स, वही, पृ० ३२४
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