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भूमिका राजा नदीमां जई जुए छे तो गधेडो छे पण माणस नथी. पोताने धूतारो मळ्यो जाणी राजा पाछो आव्यो अने दरवानने पोते राजा छे एम कही दरवाजो खालवा कहy पण दरवाने तेने धुतारो धारी दरवाजो न खोल्यो, सवारे बधाए राजाने ओळख्यो.
राजाए पछी 'जो आ धूतारो मने आवीने मळे तो हु तेने मारु अधु राज्य आपुं.' एम कह्य. एटले पछी कुंवर पोते आवी तेना पगे पडयो अने का, “तम मारी माताने छेतरी तेना वेरमां में आखा नगरने छेतथु छे" राजाए खुश थई तेने पोताना अर्धा सिंहासने बेसाड्यो.'
आम आ कथामा विखूटा पडेला पिता-पुत्रनी वच्चे युद्ध नथी थतु परंतु बे वच्चेनो युक्तिपूर्वकनी स्पर्धान सुंदर आलेखन थयेलुं छे. लगभग आवा ज प्रकारनी कथा कंइक विगतफेर साथे शामळ भट्टनी सिंहासन बत्रीशीमांनी बारमी कावडियानी वार्तामा पण आलेखाई छे. तेमा पण आ ज प्रमाणे विखूटो पडेलो राजपुत्र पिताना राज्यमा जइ मालणनी मददथी सहदेव अने मूलदेव नामना पंडितोने, ललो अने पत्तो नामना हलवाइओने, वेश्याने अने छेल्ले राजाने युक्तिपूर्वक हरावे
आ रीते जोई शकाय छे के विखूटा पडेला पिता-पुत्र का तो परस्पर युद्ध करी का तो एकबीजा साथे युक्तिपूर्वकनी स्पर्धा करी परस्परनो परिचय मेळबे छे.
उपसंहार आम “प्रद्युम्नकुमार चुपई" ए वा. कमलशेखरनी एक गणनापात्र कृति छे. कर्तानी सर्जनशक्ति अने कलाभिरुचिना आपणने तेमां दर्शन थया विना रहेतां नथी. उपरांत तेमां आवतां केटलांक कथाघटकोनो अभ्यास करतां जणाशे के तेमांथी 'चित्र द्वारा अनुराग'. 'मोटाभाईनी इर्ष्या अने विजेता नानो भाई', 'आळ-भ्रष्टाचारनु आळ' के 'परपुरुष साथे छाना संबंध राखतो पत्नी' वगेरेन अध्ययन अनेक कृतिओने लक्षमां राखोने थयुं छे. आमांथी 'मोटाभाईनी इर्ष्या अने विजेता नानाभाई' के "आळ" जेवां कथाघटकने लगती सामग्री भारतीय तेम ज इतर साहित्यमा अढळक पडेली छे. बीजा कथाघटको जेवां के 'बेदरकार-बेध्यान पात्र द्वारा ऋषिमुनिना अनादर अने तेथी क्रोधित बनेला ते ऋषिमुनि द्वारा कराती शिक्षा', 'जन्मतां ज बालकनु अपहरण', 'छलकपट द्वारा दिव्यविद्या के वस्तुनी प्राप्ति' के 'पिताथी विखूटा पडेला पुत्रनु अज्ञात पिता साथे युद्ध के स्पर्धा'-माटे अल्प प्रमाणमां समांतर प्रयोगो मळेला छे. शक्य छे के साहित्यना अखुट भंडारमांथी आने लगती इतर अनेक कथाओ मळो आवे. १. विक्रमचरित्र - कर्ता उदयभानु, संपा. ठाकोर बळवंतराय
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