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भूमिका
रामायणमा लोकापवादना भयथी राम, सीतानो त्याग करे छे. त्यारबाद सीताने लव-कुश नामना पुत्रो थाय छे. आश्रममां ऊछरतां आ बालको रामनां अश्वमेध यज्ञमां घोडाने पकडे छे अने त्यारे राम अने लव-कुश - एक बीजाथी अणजाण एवा पिता-पुत्रो वच्चे युद्ध थाय छे. रामायणनी आ सर्वविदित कथामां पति द्वारा पत्नीनो त्याग थाय छे। अने त्यार बाद पुत्रोनो जन्म थाय छे. आ प्रमाणे अहीं पुत्रोमा जन्मथी ज पिता तेनाथी विखूंटा होय छे.
वि. सं. १४१० मां
शालिभद्रसूरिए रचेला 'पंचपंडवचरित्र रासु मां पण आ कथासार आम छे:' हस्तिनापुरमा शांतनु नामे राजा हतो, तेने शिकारनो खूब शोख हतो. शिकार करता एकवार शांतनु जंगलमा दूर नीकळी गयो. त्यां गंगाकिनारे वनमां एक मणिमय महेलमां जह्रु राजनी पुत्री गंगाने जोई तेने ते परण्यो. तेमने गांगेय नामे पुत्र थयो.
गंगाए राजाने शिकारनी लत छोडाववाना प्रयत्न कर्या, पण राजा न मान्यो छेवटे राजाना शिकारशोखथी छेडायेली गंगा पुत्रने लई पियर चाली गई. आमने आम चोवीस वर्ष वीती गयां.
एकवार राजा शिकार करतो गंगातटे आवे छे. त्यां बे भाथां अने हाथमां धनुष्य लई एक वीर बाळक आवे छे. राजाने ते पोते वननो रखेवाळं होई, वनना लोकोने हैरान नहि करवानी विनंति करे छे. पण राजा तेना वचननी अवगणना करेछे. छेवटे राजा अने बाळक वच्चे युद्ध थाय छे. युद्धनी वात जाणी बाळकनी माता गंगा आवे छे अने बाप- दीकरानी परस्पर ओळखाण करावे छे..
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आम आ कथामां पत्नी, पतिनो त्याग करी, नाना बाळकने लई जाय छे अने एम पिता-पुत्र विखूटा पडे छे. त्यारबाद वर्षो बाद पिता-पुत्र वच्चे विसंवाद थतां युद्ध थाय छे.
आ उपरांत जैनसाहित्यनी प्रसिद्ध करकंडुनी कथामां पण आ प्रकारना वृत्तान्तनुं निरूपण थयेलु छे. परंतु तेमां पति-पत्नी अकस्माते छूटा पडी जाय छे अने त्यार बाद परनाने पुत्र जन्मे छे. आम अहीं पण पुत्रना जन्मथी ज पिता छूटा पडी गया होय छे अने त्यारबाद पुत्र पण दैवयोगे राजा बनी पिता साथे अजाणतां युद्ध करे छे. कथा ट्रकमा आम छे:
कलिंगदेशना राजा दधिवाहनने पद्मावती नामनी राणी हती. एकवार तेओ विहार करता हता तेवामां हाथी तोफानी बनतां बन्ने विखूटा पडी गया. त्यारबाद राणीए हताश बनी दीक्षा लीधी. ते पछी करकंडुनो जन्म थयो. दीक्षित साध्वीनो पुत्र एटले जन्मतां ज तेना त्याग करवामा आव्यो. आम ए एक चांडाळता हाथमां आग्यो अने चांडाळपुत्र कहेवायो.
एक वार करकंडु अने तेना मित्रो रमता हता तेवामां एक चमत्कारिक दंड तेमना हाथमां आव्यो अने तेमांथी ब्राह्मणपुत्र साथे ते दंड कोने आपको ते बाबतमां झघडो थयो. चांडाळो ब्राह्मणो साथै झघडे ए चलावी न लेवाय - ए हिसाबे करकंडुए नगर छोड्यु. दंडना प्रभावे करकंडु कांचनपुरनो राजा थयो.
आ बाजु दधिवाहने धारिणी नामनी स्त्री साथे लग्न कर्या. तेमने एक पुत्री जन्मी दधिवान अने शतानिक राजा वच्चेना युद्धमां दधिवाहनने नासवु पड्युं. पण त्यारबाद दधिवाहनने
१. “ मध्यकालीन राससाहिय" डॉ. भारती वैद्य, पृ. १८३-१८४.
२. अहीं " शाकुन्तल" ना दुष्यंतना तेना पुत्र साधना मेलापनो प्रसंग याद आवे छे. ३ " मध्यकालीन राससाहित्य" डॉ. भारती वैद्य, पृष्ठांक ३५२-५३
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