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________________ भूमिका ८३ आ बाजु अखेराज अने उमेदसिंग बग्नेए झालीने पकडवानो निश्चय कर्यो अने दरबारगढमां दाखल थया. पण चोतरफ अंगारानो खाई हती. ते वखते वफादार उमेदसिंग ते खाईनी वच्चे पहेला जईने ऊधो पडयो, तेनी पीठ उपर थईने अखेराज सामी बाजु पहोंची, वृक्षना सहारे जलदीथी राजमहेलमां जई, शाहनादाने वाढी नाखी, झालीने पकडीने पाछा उमेदसिंगनी पीठ पर थईने कुदी सामे जतो रह्यो. सवारे बादशाहने शाहनादाना मरणनी खबर पडी स्यारे ते वखते झालीने न जोवाथी खात्री थइ के आ अखेराजनुं काम छे. तेथी तेनी पाछळ लश्कर मोकल्यु. तेमांथी बे सिपाइओ लश्करनी बहार आगळ नीकळी गया अने रस्तामां राजाने तथा झालीने पकडी लीधा अने अखेराजने बांधी, ते बन्ने नमाज पढवा माटे पासेनी वावमां ऊतर्या. आ बाजु अखेराजे युक्तिपूर्वक पासे ऊभी ऊभी मलकाती झालीने कयु के "तें नीचकृत्य तो कयु. पण आ मलेच्छना हाथे मरवा करता हु तारा जेवी रजपूताणीने हाथे मरवा धारु छ. तो मारी तलवारथी तु मने मारी नाख.” आ सांभळी खुश थती राणीए विचाय के 'लावने टाढे पाणीए खस कादु', एम विचारी तलवार लइ ते जेवी राजा उपर घा करवा नाय छे के तरत ज राजाए एवी करामत करी के झालीनो झटको बांधेला बंधनो उपर पडयों. बंधन तूटी गया अने राजा मुक्त थइने झालीने पकडी, पावमां नमान पढता बे सिपाइने खलास करी, शिरोही चाल्यो. त्यां जई झालीने नीवती भीतमा दाटी. बीजी आ प्रकारनी अनेक कथाओमां बेवफा पत्नीनो पति कां तो स्त्रीना कपटनो भोग बनी मृत्यु पामे छे, कां तो स्त्रीनो नीच वृत्तान्त जाणी संसार पर वैराग्य भावता साधु बनी जाय छे. पण आ अखेराजनी कथामां ते खूब बहादुरीपूर्वक अने युक्तिपूर्वक बेवफा पत्नीना वेरनो बदलो लइने न जपे छे. मध्यप्रदेशनी एक कथामां एक दुष्ट राणीना वृत्तान्तमां पण आवा ज प्रकारनां कथाघटकन निरूपण थयु छे.' जेमां एक राजा-राणी राणीनी माने घेर जवा नीकळया छे. त्यां रस्तामां तरस लागतां एक कूवा पासे आवे छे. त्यां एक फकीर सारंगी वगाडतो होय छे. राजाराणी त्यां आराम करवा रोकाय छे. जमी परवारी राजा सूइ गयो. पण राणी अने पेला फकीरनी आंखो मळतां प्रेम जाग्यो. राणी फकीरनी पासे आवी कहेवा लागी, "प्रेमने खातर ह तारी साये ज आवीश". त्यारे फकीरे, राणीने तरस्या थवाना बहाने राजाने कृवामांथी पाणी भरी नाववा माटे जणावी, ज्यारे राजा कुवा पासे जाय त्यारे धक्को मारी कुवामा धकेली दई मारी नाखवा जणाव्यु. राणीए ते प्रमाणे कर्यु अने त्यांथी फकीर अने राणी भागी गयां अने नाचगान करतां दिवसो गुजारवां लाग्यां. आ बाजु राणीए धक्को मारता राजा कुवामां पड्यो, परन्तु ते वच्चे दोरडु पकडी लटकी रह्यो हतो. एवामां कोइ एक लामसेननी मददथी ते बहार आष्या अने तेनु ऋण चकववा तेना नोकर तरीके तेनी साथे तेने गाम गयो. - १. “The Rani's Lover" From- 'Folktales of Mahakoshal' --by Verrier Elwin. First Edition-p. 315-316 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002633
Book TitlePradyumnakumara Cupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalshekhar, Mahendra B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages196
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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