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________________ भूमिका हेतुथी राणीए राजाने जगाडीने कां के, ‘में हमणा तमारा सौथी नाना पुत्रने मारा स्तननो स्पर्श करता पकड्यो छे. नक्की ते बददानतथी अहीं घूस्यो हतो.' राजा आ सांभळी स्तब्ध बनी गयो. आ बाजु नानो राजकुमार पोताना भाईओ पासे पाछो आव्यो अने कइ पण बोल्यो नहि वहेली सवारे मोटा पुत्रने अने त्यारबाद बीजा पुत्रने बोलावीने राजाए पूछय के, “ए मानवी के जेनी पासेथी में मारी कीर्ति अने जिंदगीनो भरोसो राख्यो होय ते न दगाबाज नीवडे तो मारे शुरू करवु?' बन्नेए अनुक्रमे 'शिरच्छेदनी शिक्षा ज करवी घटे' एम जणाव्यु. परन्तु उदाहरणो द्वारा समजाव्यु के 'प्रथम एनी खात्री करी लेवी जोइए के ते खरेखर गुनेगार छे के नहि'. सौथी नाना पुत्रने ज्यारे बोलाववामां आव्यो त्यारे तेणे पण एज रीते जवाब आपीने पछी गई रात्रीनी वधी वात जणावी. राजा खुश थयो अने तेने खूब चाहवा लाग्यो.' उपर्युक्त बन्ने कथाओमां आलेखननी दृष्टिए बंगाळनी कथा अवश्य कलात्मक रीते कहेवाई छे. काश्मीरनी कथामां राजा परपुरुष पर राणी प्रत्येना भ्रष्टाचारनी शंका सेवे छे, ज्यारे अहीं बंगाळनी कथामां अपरमाता ओरमान नाना पुत्र उपर पोते ज तेना विनाशार्थे बदचलननु आळ मूके छे. आ उपरांत बंगाळनी एक बीजी 'शीत अने बसंत' ए नामनी कथामां पण अपरमाता तेना ओरमान पुत्र पर व्यभिचारनु आळ ओढाडे छे -ए कथाघटकनो उपयोग थयेलो छे. ते कथा टंकमां आ प्रमाणे छे: एक राजाने सूओ नामे मानीती अने दूओ नामे अणमानीती राणी हती. सूओ दुष्ट हती अने दूओने कष्ट आपती हती. सूओ निःसंतान हती. दूओने शीत अने बसंत नामना बे पुत्रो हता. एक दिवस बन्ने राणीओ नदीए नहावा गइ, त्यारे सूओए युक्तिपूर्वक दूओने माथे कंइक नाखीने पोपटी बनावी दीधी. घरे आवीने सूओए जाहेर फयु के दूओ नदीमां डूबी गई छे. आ बाजु वखत जतां सूओने त्रण दीकरा अवतो. तेओ साव दोरी जेवा पातळा हता. ज्यारे शीत अने बसंत भरावदार हता. तेथी तेनी ओरमान मा तेमने खूब दुःख आपती. एक दिवस शीत अने बसंतने बदनाम करवाना हेतुथी तेओ ज्यारे शाळाएथी घरे आव्या त्यारे ओरमान माए पोताना वाळ तोडी खूब शोर मचावी गुस्सामा एक दासीने बोलावी राजा पासे कहेवडाव्यु के तमारा दीकरा शीत अने बसते तेमनी ओरमान माने खूब गलीच भाषामां बदनाम करी के. राजा ज्यारे क्रोधमां भभूकतो आव्यो त्यारे राणीए तेने ते बे पुत्रोना रक्तथी स्नान करवानी इच्छा जणावी. राजाए तेम करवानी आज्ञा आपी. परंतु माराओनी दयाथी तेओ छूटी गया. इत्यादि... आ उपरांत सिंधनी लोककथामां लाल शाहबाझ नामना एक महापुरुषनी कथा प्रचलित छे. आ 'लाल शाहबाझ'नी कथामां पण भ्रष्टाचारना आळनी वात आवे छे. ते ट्रंकमां आ प्रमाणे छ: 3 १. आ कथा 'शिक्षा अने शांति' ए शीर्षक नीचे 'भारत लोककथा' संपादक : ठक्कर वसनजी, भाग चोथामां पृ. २१८ थी २२८सुधीमां आपेली छे. २. Bengal Fairy Tales by F.B.Bradly-Birt p.153 ३. Folktales of Sind and Gujarat (पृष्ठांक७ थी१२) कर्ता-Kincaid C.A Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002633
Book TitlePradyumnakumara Cupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalshekhar, Mahendra B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages196
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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