________________
प्रद्युम्नकुमार-चुपई पान, मोतीनां फळ अने जेना पर नाचता मोर फळ खातां हतां-एवा अद्भुत वृक्षने जोयु ने तरत ज ते आंधळो बनी गयो. फरीथी तेने स्वप्नु आव्यु के ज्यारे ए खरेखर आ वृश्चने जोशे त्यारे तेनी दृष्टि पाछी आवशे.
प्रथम सुहाना बे पुत्रो अद्भुत वृक्षनी शोधमां चाली नीकळया. तेमनी साथे दुहानो पुत्र पण पछीथी जोडायो. रसोईया तरीके मोटा भाईओए तेने पोतानी साथे राख्यो.
रस्तामा आ लंगडो नानो भाई नागना भयमांथी पक्षीना बच्चाने छोडावे छे ते वखते पक्षी पोताना बच्चाने कहे छे 'आ अद्भुत वृक्ष, जो राजकुमार नीचेना कूवामां ऊतरे तो मळी शके.' ज्यारे दुहाना पुत्रे आ वात सांभळी त्यारे तेणे तेना भाईओने कूवामा ऊतरवा का. तेओए ना पाडी. दुहानो पुत्र पोते ऊतरवा तैयार थयो अने जणाव्युं हुं दोरडु हलावु नहि त्यां सुधी तमारे बीजे क्यांय जवु नहि अने ज्यारे हलावू त्यारे दोरडुं उपर खेची लई भने काढजो' एम कहीं कम्मरे दोरडु बांधी कूवामां नीचे ऊतर्यो.
नीचे ऊतर्या बाद ते राक्षसना नगरमां जाय छे. त्यां एक स्त्रीनी मददथी ते राक्षसना मरणनो भेद जाणी खूब खतरनाक एवा साहस बडे राक्षसने मारी नाखे छे. वच्चे ते एक नाग अने वाघने खाडामाथी बचावे छे त्यारे तेओ संकट समये मदद करवान वचन आपे छे.
___ केटलाक दिवस बाद तेने पोताना पितानी वात याद आवता पेली स्त्रीने तेणे अद्भुत वृक्षनी वात कही, त्यारे पेली स्त्रीए 'हवे अहीं नथी रहेवु' एम जणावी कमंडळमां दस दिवसनो खोराक भरी लीधो अने घरमांथी अदर-बहार जाव-आव करी मोडु करवा लागी. आथी क्रोधे भराई दुहाना पुत्रे मोटी छरी लई तेने मारी के तरत ज ते पेला अद्भुत वृक्षमा फेरवाई गई. दुहानो पुत्र स्त्रीने मारी नाखवा बदल पस्तावा लाग्यो. एवामां तेना हाथमाथी छरी पडी गई के तरत ज वृक्षमाथी पाछी पेली स्त्री थई गई. आम नाना राजकुमारे छरी वडे स्त्रीमाथी वृक्ष अने वृक्षमांथी पाछी स्त्री बनाववानो मर्म जाणी लीधो.
त्यारबाद कुवामां द्वार पासे आवी दोरडु हलाव्यु के मोटा भाईओए बन्नेने बहार काढथा. आवी सुन्दर कन्या जोई तेओए नाना भाईने मारी, आ कन्या हाथ करवानो ईरादो कर्यो. रस्तामां वहाणमां तेओए दुहाना पुत्रने बांधीने दरियामां माख्या. पेली स्त्री के. जे आ बधुं जोती हती तेणे पेलुं खाराकवाळु कमंडळ दरियामां फेंक्यु, जेना वडे दुहानो पुत्र तरवा लाग्यो अने खोराक खाई जीववा लाग्यो. - आ बाजु पेला बे भाईओ राजा पासे आव्या अने पोते वृक्ष न गोती शक्या पण आ कन्या गोती छे एम जणाव्यु. आ बाजु दुहाना पुत्रे पेला नाग अने वाघनी मददथी घरे आवी, राजाने, स्त्रीने छरी मारी स्वप्न मुजबना अद्भुत वृक्षना दर्शन कराव्यां अने आंख पाछी लावी आपी. पण बीजा भाईओ ईर्ष्यामां कहेवा लाग्या के 'आ स्त्री तो अमने मळी छे अने नाना भाईए पडावी लीधी छे.' त्यारे राजाए जो शक्ति होय तो वृक्षमांथी पाछी स्त्री बनाववान जणाव्यु, पण तेओ तेम करी न शक्या. अंते नाना राजकुमारे छरी जमीन पर पाडीने तरत वृक्षमांथी पाछ' स्त्री करी. राजाए तेने राज्य आप्यु अने पेला दुष्ट राजकुमाराने देशनिकाल कर्या.
आ ज प्रकारनी पण प्रसंगालेखननी दृष्टिए भिन्न एवी एक बीजी कथामां पण मोटा भाई ओनी नाना भाई प्रत्येनी ईया छतां अंते नाना भाईना विजयनी कथा कहेवाई छे. ट्रंकमां कथा आम छे:' १. “Folklore in Western India'-Putalibai D. H. Wadia. जुओ: The Indian Antiquary'-vol. XIX. Page-152-155
'The wonderful tree'
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org