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नवतस्त्र चोपाई एक समइ एतला सिद्ध थाइ भाव अनंतर थोडा थाइ परंपरा अनंत गुण सिद्ध तेहज अल्पबहुत्व प्रसिद्ध नवभेद ए मोक्षतणा जाणंता हुइ। गुण घणा भावि करी सदहि नवतत्त्व आपण मांनइ हुइ समकित्व अंतरमहूरत समकित धरइ ते नर अरधुं पुद्गल करइ वाचक कमलशेखर इम कहइ गणिइ भविइ(?) सिद्ध पदवी लहइ ६४ विधिपक्षि गछि ए उदयु भाण श्री धर्ममूर्तिसूरि सुजाण तास पसाइं लहीया भेय बिसइ छिहत्तरी हुआ तेअ संवत सोल नवोत्तर वरसि सूरति आसू त्रितीया दिवसि रची चुपई सोहामणी भणतां गणतां हुइ बुद्धि घणी2
1. हइ 2. अंते : इतिश्री नवतत्त्व चउपई संपूर्ण । पं. रविचंद्र लखित्त साधवी गंगाई पठनार्थ । लेखक पाठकयो सुभं भुवः ।
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