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________________ प्रद्युम्नकुमार-चुपई प्रभात समइ पजून अणगार जई वांद्या श्रीनेमकुमार जिनवरि पजून बोलाविउ तांम आव्या तुम्हे संलेहण काम ७५१ सत्य सत्य वाणी जिनराज तुम्ह आदेसइ सारं काज करु वछ संलेहण खरी सेजगिरि सिहरि संचरि ७५२ हरखइ वंद्या नेमजिणंद वलि वंद्या गणहर मुनिवृंदि] खमी खमावीनइ चालीया सिद्धिक्षेत्र सेचूँजि आवीया ७५३ (केवळज्ञाननी प्राप्ति) शिला पूजि सांथारु करइ अणसण सुक्लधांन ते धरइ घातिककर्म सघलां क्षय करी अंतसमय केवलसिद्धि वरी केवलमहोछव देवे करिउ धन्य ए यादवकुलि अवतरिउ धन्य ए नेमजिनेश्वर-सीस इंद्र सयल जस करइ जगीस ७५५ (ग्रंथकारनो परिचय) विधिपक्षगछि धर्ममूर्तिसूरि विजयवंत2 ते गुण भरपूरि कमलशेखर रहीया चउमासि मांडलि नयरइ घणइ उल्हासि ७५६ (रचनामिति) संवत सोल छवीसइ करी दूहा चुपई हीयडइ धरी काति सुदि नइ दिन त्रयोदसी कीधी चुपई मन उल्हसी (ग्रंथकारनी शुभकामना) वणारीस वेलराजतणा सीस दोइ तेहनां गुंण घणा श्री पुण्यलब्धि उवझायां ईस बीजा लाभशेखर वणारीस तास सीसि रची चुपई सुणियो भवीयां इक मंन थई चरित्र प्रदिमनकुमारहता भणता सुणतां सुख घणूं ७५९ 1. अवतारिउः 2. विजवंत 3. अंते : इति प्रद्युम्नचरित्रे रिचे। नेमकुमार दीक्षा केवलन्यान । प्रद्युम्नकुमार दीक्षान्यान निर्वाणनाम्नो षष्टम स्वर्गः समाप्त ॥ इति प्रद्युम्नकुमार चुपई समाप्त । स्वर्णगिरि मधे । कू. लालजीलिखित्तं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002633
Book TitlePradyumnakumara Cupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalshekhar, Mahendra B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages196
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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