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प्रधुम्नकुमार-चुपई (कृष्ण-प्रद्युम्न-युद्ध)
मनि पछताणउ यादवराइ मइ एहि सिउं बोलिउ सदभाइ ए मूंहसिउ बोलिउ आकरु हवइ मारे जाइ जिम परु ५४७ ऊपनु कोप थई चिचि कांणि धनुष चडाविउ सारंगपाणि अर्धचंद्र! तिहि साधिउ बाण हवइ एहनुं देखू सपराण ५४८ सांघिउ धनुह दीठउ जाम कोपारूढ पजून हूउ ताम कुसुम-बांण मेलिहउ परदनण धणुहर भांजि गयु महमयण ५४९ हरिने चापह बेटे जिसिइ बीजं धनुष संभालिउ तिसिइ वली कुमरि सर दीनु छोडि उडी3 धनुष गयु गुण त्रोडि ५५० कोपारूढ कृष्ण तव थयु त्रीजु धनुष चडावी लीयु मेल्हइ बांण कुमर तुडि चडिउ तेहूं बांण त्रुटि धरि पडिउ ५५१ कृष्ण संभारइ धणहर तीन खिणिमइ कुमर लेइ सवि छीन हसि हसि वात कहइ परदवण तह समु नही क्षत्री कवण ५५२ कहिपहि सीखिउ पवरिख घणु मूहनइ सिउं कहिनइ गुर आपणु धणुह-बाण छीन्या तुम्हतणा तेऊ राखि न सक्या आपणा ५५३ तुझ पुरुषाक्रम दीठउ आज इणि पराणि किम भोगवइ राज वली कुमार बोलइ ते इम कंस जरासिंधु जीतु किम विलखवदन नारायण थयु मायारथ करीनइ गयु तिणि आरूढउ यादवराय हाथइ धनुष चडावी जाइ ५५५ अगनिर्वाण मेल्हिउ हरि जाम तेहनु ताप न सहाइ ताम अगनिवांण4 थायु प्रज्वलंति चिहुंदिसि झाल घण तेज करंति ५५६ कुमरतणू दल पाडूं जाइ अगनिझालि ते आकुला थाइ दाझइ हयवर गयवर घणा न्हासइ कटक पजूनहतणा ५५७ कोपारूढ थयु परदवण तेहनी हाक सह[इ] ते कवण पुप्फवात करि धणहर लीयु साथइ मेघबांण परठीयु 1. अद्धचंद्र 2. कुसम 3. उडि 4. अगनिवांण 5. परदियु
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