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________________ ५१६ ५१७ ५१८ चतुर्थ सर्ग वनमांहि दीसइ जीव असंख ध्वजागमि बइसइ ते पंखि सारथि कहइ सुणउ तुम्हे राउ एणइ सुकनि नवि दीजइ पाउ तउ केसव बोलइ तिणि ठाइ शकुन सो गणइ विवाहण जाइ सारथिनइ समझावइ सोइ कर्मइ लिखिउ न टालइ कोइ (प्रद्युम्न द्वारा सेनानिर्माण) चाल्या सुहड न मान्या सुण देखी सेन आकुलाणउ परदवण माता रूपणि घालि विमाणि पितातणी तव न करी कांणि प्रदिमनकुमरइ मनि बुधि धरी समरी विद्या सेनाकरी जेहवउ तेहनु बल देखीयु तेहवउ आपण सेना कीयु (युद्धवर्णन) बेहुं दल साम्हां मेलीइ सुभट साजि धनुष करि लीइ कोई वारू 1 लिइ करवाल जाणे जीभ पसारी काल मयगलसिउ मयगल रणि भिडइ रहवरस्यूं रहवर आथडइ राउत पायक वढइ पचारि पड्या ते ऊठी कइ पुकारि को हाकई कोइ हणइ कोई मारि मारि तिहां भणइ कोई भिडइ समरंगणि गाजि कोई कायर नासइ भाजि कोई करइ धनुष2 टंकार कोई असिवर करइ प्रहार कोई कहइ तूं जई रण गाहि कोई हाक दीइ रणमाहि देखी समरंगणि बोलइ राउ अर्जन भीम तुम्हारं ठाउ सहदे निकुल कहीइ तुझ पवरख आज देखाडु मुझ वली पचारि बोलइ हरिदेव दसहि दसार सुणउ वसदेव बलिभद्रकुमर ठाम तुम्हतणउ देखाडउ बल आज आपणउ कोपिउ भीमसेन लेई चडइ हाथि गदा लेई रणि भिडइ गयवर-सिरि सो करइ प्रहार भाजइ क्षित्री नही लगार ५२० ५२१ ५२२ ५२३ ५२४ ५२५ 1. लिलिइ 3. देाडु 2. धधनुष 4. ठाम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002633
Book TitlePradyumnakumara Cupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalshekhar, Mahendra B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1978
Total Pages196
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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