________________
५०७
प्रद्युम्नकुमार-चुपई (युद्धनी तैयारी)
चुपई साजण सजु थाउ वहिलाउ थयु सनद्ध-बद्ध यादवराउ रहवर साजउ गयवर गुडउ जईनइ सुहड आज रणि भिड ५०४ आदेस थयु सुभट रणि चाल्या गही टोप करइ केतला केय करइ सजइ करताल केई चालइ बांधी चाल ५०५ केई हाथइ लिइ हथीयार केई घोडा आणइ सार केई माता गयवर गुडइ केई सुहड साजइ रथि चडिइ ५०६ केई तुरीइ पाखर घालि केई आयुद्ध लिइ संभालि केई टाटर झंझण लेइ केई माथई टोपा देइ1 । ५०७ केई पहिरइ आंगि सनाह एहवा हई चालइ रणमाहि केई कुंत लीइ करि साझि केई असिवर नीकलइ माझि ५०८ केई सेल समारइ फिरी केई कडिहि बांधइ छुरी। केई कडिइ कटारी बांधि केई चाल्या तीरह सांधि केईतणइ नवि वात समझाइ केई सुहड ते साम्हा थाइ जिणि ए रूपणि हरी परांणि सो नर नही तुम्हारइ माणि सर्व क्षित्री हिव एकठा मिलु घटाटोप करि सांम्हा चल उछी बुद्धि म करु पाय हवय थयु मरणनु ठाय चाउरंग दव तव मिलिउ तुरंत हय-गय-रथ-पायक-संजुत्त सिरि वरछत्र ते सोवनवांन आकासि हुई चाल्यां विमान ___५१२ एहवां सयन चाल्यां सपरांण वाजा वाजइ ढोइ निसाण
घोडां खुरी उछली अति खेह जाणे गाजिउ भाद्रव-मेह __ ५१३ (सेनाना प्रस्थान समये अपशुकनो)
वामइ दिसा करंकइ काग वाट कापी जाइ कालु नाग महीयारी दाहिणी पडिहार दखिण दिसि बोलइ फेफार ५१४
५१०
1. टइ
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org