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प्रद्युम्नकुमार-चुपई (नारदमुं क्रोधपूर्वक चाल्या जq )
नारदरखि चालिउ रीसाइ सीगीपर्बति बइठउ जाइ मनमांहि बयठउ चितइ इसिउ किणिपरि मानभंग कीजि किसिउ ३० कोपानलि परजलिउ मुणिंद सिलतलि चांपु वेगि विछंद हरि पछितावु करिसिंइ घणु किणिपरि मानभंग एहतणउ । रूपिइ एहथी अधिकी होइ हरिनइ परणावं ते जोइ नारद-चरित सुणउ सहुकोइ मानभंग सतिभामा होइ गाम-नगर सवि जोइ करी दोहोत्तर सो खेचरपुरी।। खिणमाहि फिरतु चितइ सोइ कुमरि सरूप न दीसइ कोइ ३३
(कुंडनपुरमा नारदऋषितुं आगमन)
भमतु नारद आविउ तिहां कुंडनपुर नगरी छइ जिहां भीषमराजा नयरीतणु धर्म-नीम ते जाणइ घणु अति सरूप गुणलक्षणसार बइठउ देखिउ रूपकुमार दृष्टि पसारी कहिउ मुनि सोइ इणिइ अनुसारि जे कन्या होइ ३५ कर्मयोगि जउ जुडइ संयोग तु हुइ नारायण, योग
देखण गयु अंतेउर भणी जिहां बइठी कुमरि रुखमिणी ३६ (रुक्मिणी-रूपवर्णन)
अति स्वरूप सवि लक्षण चंग सिसिवयणी नइ नयन कुरंग
तेह समी स्त्री नवि दीसइ कोइ हंसगति गयगमणी सोइ ३७ (नारदऋषि अने रुक्मिणीनुं मिलन )
नारद आवत जव देखीयु नमस्कार तव सुंदरि कीयु देखि रुखमिणी बोलइ सोइ तुं पटराणी हरिनी होइ रुखमीराइ दीधी रुखमिणी ससपालराय मोटुं सुणी नयरि तेहनइ घणउ उछाह लगन वधावइ करइ विवाह ३९ 1. खेचरपुरि
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