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________________ Jain Education International नाम षष्ठ भष सप्तम भव पिता का माता का पार्श का कमठ का जीवन पान का जीव | कम जात पाव की मत्य का पार्श्व का जीव कमठ का जीव ग्रन्थ । जिस योनि में नाम नाम.. कारण जिस स्वर्ग में. | जिस नरक में उत्पन्न आ गया गया कहीं वज्रनाथगक नामक (१) चउप्पन्नमहापुरिसचरिय वज्रवीर्य लामीमती व कहीं कुरंगक नामक भील के बाण से | वेयक रौरव नाम की नारकी वज्रनाभ सुभद्रनामक (२) उत्तरपुराण विजया भील कुरंगक भील के बाण से | अवेयक नरक चक्रवर्ती (३) महापुराण वज्रवाह चक्रवर्ती मध्यम वेयक " वज्रनाभ (४) श्रीपार्श्वनाथचरितम् सुभद्र अवेयक सप्तम नरक For Private & Personal Use Only चक्रवर्ती (५) पासचरियं विजया वजनाम चक्रवती शबर कुरंगक | शबर के बाण से अवेयक । अतितम नरक (६) पासणाहचरिउ लक्ष्मीमति वजयुध (७) सिरिपासनाहचरियं बज्रनाभ सप्तम नरक मध्यम अवेयक | " (८) त्रिषष्ठिालाकापुरुषचरित (९) पार्श्वनाथचरितम् किरात किरात के बाण से ग्रेवेयक नरक www.jainelibrary.org
SR No.002632
Book TitleParshvanatha Charita Mahakavya
Original Sutra AuthorPadmasundar
AuthorKshama Munshi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1986
Total Pages254
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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