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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org ग्रन्थ (१) चउप्पन्नमहापुरिसचरिय (२) उत्तरपुराण (३) महापुराण (४) श्रीपार्श्वनाथचरितम् (५) पासचरियं (६) पासणाहचरिउ (७) सिरिपासनाहचरियं (८) त्रिषष्ठिशलाका पुरुषचरित (९) पार्श्वनाथचरितम् पिता का नाम माता का नाम विद्युत्गति कनकतिलका किरणवेग विद्युत् गतिविधुन्माता रामवेग विद्युत् वेग "" " तडिन्माता "" अशनिगति तडित्वेगा | अशनिवेग विद्युत मदनावती किरणवेग विद्युत्गति तिलकावती चतुर्थ भव पार्श्व का नाम कनकतिलका " , "3 "" " कमठ जिस योनि में उत्पन्न हुआ महा सर्प अजगर "" भुजंग अजगर ,; पार्श्वक मृत्युका क रण सर्प महाहि विषघर सर्प के काटने से भुजंग के काटने से अजगर के निगलने से अजगर के नगलनेसे अच्युत कल्प सर्प महोरग भुजंग के काटने से " "" | पंचम भव पार्श्व का जीव | कमठ का जीव जिस स्वर्ग में जिस नरक में गया गया अच्युत कल्प " " "" , " द्वादश कल्प विषघर के काटने से | अच्युत कल्प धूमप्रभा नाम की पांचवी नारक छठा नरक तम प्रभ नरक ܕܝ पांचवा नरक रौद्र नरक धूमप्रभ नरक तमप्रभ नरक पंचम नरक
SR No.002632
Book TitleParshvanatha Charita Mahakavya
Original Sutra AuthorPadmasundar
AuthorKshama Munshi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1986
Total Pages254
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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