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जीवनी के विषय में कुछ भी ज्ञात नहीं हो पाता है । कुछ स्थानों पर पापित्यीयों के लिए 'थेरो' कह कर ही काम चलाया गया है । 1
उन पार्श्वपत्यीयों के नाम निम्नतः है - (१) कालासवेसियपुत्त - (भग० १ - ९) (२) केसी - (उत्त० २३ राय० ५३ आदि) (३) उदकपेढालपुत्त - ( सूय० २. ७.)
स्थविरो (२) - (भग०-५-९)2 गांगेय - (भग० ९ - ३२)
(५)
श्री दलसुखभाई मालवणियाजी ने उत्थान पत्रिका के महावीर जैक में लिखे अपने लेख में 'थेरो' से दो ही स्थविरों की गिनती कराई है । उसी अनुसार यहाँ उल्लेख
किया गया है। २. स्थविरों के नाम आगम में नहीं दिये गये हैं।
पापित्यीय और पाश्व' संघ, पं० श्री दलसुखभाई मालवाणया, उत्थान पत्रिका महाबीर अंक बम्बई, १९३१ ।
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