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________________ इस श्लोक के द्वारा श्रीपार्श्व द्वारा संसार का त्याग कर देने पर बन्धुजनों का शोकपीड़ित होना, भगवान् का मनःपर्यवज्ञान द्वारा खुश होना तथा उनका परम शांति की अवस्था में स्थित होना- इन तीन बातों से कवि ने पार्श्व के मन की शान्त स्थिति तथा संसार से वैराग्य को दर्शा कर अत्यन्त शान्त निर्मल वातावरण उत्पन्न कर शान्त रस का प्रस्थापन किया है । ५७ निःसङ्गो भगवान् वनेषु विहरन्नास्ते मनः पर्यव श्रीसंश्लेषससम्मदः स यमिनां धुर्यः परं निर्वृतः ॥ ५, १०७ ॥ इस श्लोक में पार्श्व के चरित्र में तप व वैराग्य के कारण उत्पन्न हुई ऐसी अचलता का वर्णन कवि ने किया है जिससे सम्पूर्ण संसार कृतकृत्य हो उठा है । (३) स एष भगवान् पार्श्वः साक्षाज्जङ्गमभूधरः । यद्दृष्ट्या फलिते नैत्रे यच्छ्रुत्यो सफले श्रुती ॥ ६, १० ॥ प्र- ८ इस श्लोक में भी पार्श्व के अत्यन्त निष्काम आसक्तिरहित एवं सनातन स्वरूप का वर्णन किया है । Jain Education International (४) सेोऽयं घनाञ्जनश्यामस्त्यक्तसङ्गः सनातनः । निष्कामेो विचरत्येष दिष्ट्या दृश्यः स एव नः ॥ ६, १२ ॥ अन्त में शान्त वातावरण को समुत्पन्न करने वाले माधुर्य गुण से परिपूर्ण इस श्लोक को देखिए जिसमें श्री पार्श्व की धर्मरसामृत वाणी के मिठास का पान कर जगज्जनों का जरामरण रहित पद को प्राप्त करना वर्णित है - (५) श्रीमत्पार्श्वघनाघनाद्विलसितं मन्द्र ध्वनेर्गर्जितं वार रस - इस काव्य में गौण रूप से वीर रस प्रयुक्त है, जिसका स्थायी भाव काव्य में वर्णित युद्ध का चित्रण चतुर्थ सर्ग के १३२ वें श्लोक से लेकर श्लोकों में पाया जाता है । उस युद्ध चित्रण में हमें उदाहरण वीर रस के दृष्टान्त स्वरूप पर्याप्त होगा ! उदाहरण है ते सामाजिकचातकाः श्रुतिगतं सम्पाद्य सोत्कण्ठिताः । पीत्वा धर्मरसामृतं मृतिजराशून्यं पदं लेभिरे भूयात् मङ्गलसङ्कगमाय भविनां सैवाऽऽर्हती भारती । । ३, ९६० ।। --- उत्साह है । १८२ तक के वीर रस के दर्शन होते हैं । एक देखिए - 1 छिन्नैकपादोऽपि यः स्वामिनं स्वं समुद्रहन् जातामर्षोऽभिशस्त्रं स प्रधावन् युयुधे चिरम् ।। ४, १६६ ।। For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002632
Book TitleParshvanatha Charita Mahakavya
Original Sutra AuthorPadmasundar
AuthorKshama Munshi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1986
Total Pages254
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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