________________
होना, नगर का परकोटो से वेष्टित होना, मणि जड़ित फर्श का होना, श्वेत स्फटिक भित्तियों से हवेलियों का सुशोभित होना आदि का ही वर्णन होता रहा है।
प्रस्तुत काव्य में राजपथ वर्णन, राजपथों में सुसज्जित दुकानों का वर्णन, जलार्ण कापियों का वर्णन, केलिभवन व राजप्रासाद आदि का वर्णन नहीं हुआ है, जो अन्य महाकाव्यों में प्राप्त होता है ।
भवन की भित्तियों पर चित्रालेखन भी परम्परागत रूप से प्रचलित था, ऐसा प्रतीत होता है। इस काव्य में, पंचम सर्ग के ७० वें श्लोक में नन्दनवन के मवन की मित्तियों पर चित्रित नेमिचरित का उल्लेख कवि ने किया है।
इसके अतिरिक्त, इस काव्य में वात्स्यायन के कामसूत्र में किये गये नागरिक वर्णन से भिन्न प्रकार के नागरिक का वर्णन प्राप्त होता है । वात्स्यायन का नागरिक अत्यन्त विलासी है। उसके घर के सभी उपकरण एवं उसके घर की सज्जा, उसके रहन-सहन का
ग आदि सभी वस्तुएँ उसकी विलासिता का द्योतन कराती हैं । इसी प्रकार के नागरिक का वर्णन हमें प्रायः सभी महाकाव्यों एवं नाटका में प्राप्त होता है। उदाहरण के रूप में हम कालिदास के मेघदूत में यक्ष के भवन को, माघ कृत शिशुपालवध के द्वारिका वर्णन को ( सर्ग ३, ३३-६९ ), तथा शूद्रक कृत मृच्छकटिक में चारुदत्त एवं वसन्तसेना के भवनों को देख सकते हैं ।
इस वर्णन के विपरीत कवि पद्मसुन्दर ने अपने नागरिक को अत्यन्त सौम्य, शान्त, धर्मिष्ठ, दानी, न्यायी एव बुद्धिमान आदि गुणों से युक्त बतलाया है । वह विलासी कदापि नहीं है।
सौन्दर्य वर्णन
नारी-सौन्दर्य वर्णन कवि पद्मसुन्दर नारीसौन्दर्य के कुशल चितेरे के रूप में हमारे समक्ष आते हैं। उन पर कवि कालिदास एवं श्रीहर्ष का प्रभाव स्पष्टत: दृष्टिगत होता है । सौन्दर्य वर्णन के समय कवि ने परम्परागत नख-शिख वर्णन की प्रणाली को अपनाया है। उन्होंने शरीर के विभिन्न अवयवों के सौन्दय' को व्यक्त करने के लिए विविध उपमानों की योजना है और उपमानों में भी परम्पराप्रसिद्ध उपमानों को ही लिया है जैसे कि मुख के लि चम्पा एव ओष्ठ के लिए बिम्बाफल आदि... ... ... । सौन्दर्य वर्णन के समय कवि ने मुख्यतः जिन अलंकारों का उपयोग किया है वे हैं:- उपमा, उत्प्रेक्षा, अतिशयोक्ति व व्यतिरेक अलंकार । ___ कवि ने अपने काव्य का मुख्यतः प्रभावती ( पाश्व' की पत्नी ) के सौन्दर्य से सजाया है और गौण रूप से वसुन्धरा (पाश्व' के प्रथम भव मरुभूति की पत्नी) के सौन्दर का वर्णन किया है। वसुन्धरा के सौन्दर्य का चित्रण अत्यन्त संक्षिप्त रूप से किया गया
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org